Parkash Singh Badal: कब होगा किंग ऑफ पंजाब का अंतिम संस्कार, चंडीगढ़ से बठिंडा तक निकलेगी अंतिम यात्रा

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पूरे देश में शोक की लहर है। केंद्र सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया है, पूरे देश में लगा ध्वज आधा झुका दिया जाएगा।

चंडीगढ़. पंजाब की करोड़ों जनता के दिलों पर राज करने वाले और पांच बार मुख्यमंत्री रहs प्रकाश सिंह बादल के निधन पर पूरे पंजाब में शोक की लहर है। राजनेता हो या किसान-जवान सभी की आंखों से आंसू निकल रहे हैं। इसलिए बादल परिवार ने सभी के चहेते नेता के अंतिम दर्शन करने के लिए उनके पार्थिव शरीर को सुबह 10 बजे 10 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 28 स्थित शिरोमणि अकाली दल के कार्यालय में रखा जाएगा। ताकि आम लोग भी उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।

प्रकाश सिंह बादल की चंडीगढ़ से बठिंडा तक निकाली जाएगी शव यात्रा

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पंजाब की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बदाल का अंतिम संस्कार 27 अप्रैल गुरुवार को उनके पैतृक गांव बादल में दोपहर एक बजे किया जाएगा। लेकिन इससे पहले आज बुधवार 26 अप्रैल को सुबह 10 से 12 बजे तक उनका पार्थिव शरीर चंडीगढ़ के शिअद कार्यालल में रखा जाएगा। इसके बाद चंडीगढ़ से बठिंडा के लिए शव यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा राजपुरा, पटियाला, संगरूर, बरनाला, रामपुरा फूल, बठिंडा के रास्ते गांव बादल पहुंचेगी। ताकि हर आम आदमी उनके अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सके।

प्रकाश सिंह के निधन पर देश में दो दिन झुका रहेगा ध्वजा

बता दें कि प्रकाश सिंह बादल पंजाब ही नहीं देश की राजनीति के सबसे बुजुर्ग नेता थे। उनके निधन पर राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने दुख जताया है। वहीं केंद्र सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया है, जिसमें दो दिन पूरे देश में लगा ध्वज आधा झुका दिया जाएगा। पंजाब सरकार ने सभी तरह के आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। दिल्ली-हरियाणा से लेकर अन्य राज्यों के राजनेता बादल के अंतिम दर्शन करने के लिए पंजाब पहुंच रहे हैं।

किसानों और जवानों के दिल में बसते थे प्रकाश सिंह बादल

प्रकाश सिंह बादल हमेशा अपनी रेलियों में कहते थे कि मेरे दिल में तो किसान और जवान बसते हैं। वह जब तक सत्ता में रहे उन्होंने किसानों और जवानों के विकास के लिए काम किया है। इसके लिए उन्होंने कई अच्छी योजनाएं भी लागू की थीं। इतना ही नहीं बादल ने मोहाली में इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो उन्हें कोचिंग देती है। किसानों की ज्यादा पैदावार हो सके इसलिए उन्होंने एग्रीकल्चर समिट करवाई।

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