चंडीगढ़। पंजाब में नगर निगम और नगर परिषद चुनावों की घोषणा हो चुकी है। राज्य चुनाव आयोग ने इन चुनावों को 21 दिसंबर को आयोजित करने का फैसला लिया है, और उसी दिन चुनाव परिणाम भी घोषित किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार, चुनाव की प्रक्रिया के तहत नामांकन 9 दिसंबर से शुरू होंगे और यह 12 दिसंबर तक जारी रहेंगे। नामांकन 11 बजे से 3 बजे तक भरे जा सकेंगे।
राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन की अंतिम तिथि 12 दिसंबर होगी। इसके बाद 13 दिसंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी वहीं 14 दिसंबर को नामांकन वापसी होगी। इसी दिन उम्मीदवारों को सिंबल (चिन्ह) भी जारी किए जाएंगे।
राज्य चुनाव अधिकारी, राज कमल चौधरी के मुताबिक, नगर निगम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में माडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो चुका है, और इस बार कुल 37.32 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 19.55 लाख पुरुष और 17.75 लाख महिला मतदाता शामिल हैं।
चुनाव पांच प्रमुख नगर निगम क्षेत्रों में होंगे: जालंधर, अमृतसर, फगवाड़ा, लुधियाना और पटियाला। चुनाव अधिकारी ने यह भी बताया कि ईवीएम पहले ही सभी जिलों में पहुंच चुकी हैं। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि मतदान सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक होगा। पोलिंग बूथ पर सुरक्षा कारणों से किसी भी प्रकार के हथियार लाना प्रतिबंधित रहेगा। सभी जिलों के डीसी (जिलाधिकारी) को निर्देश दिए गए हैं कि वे यह निर्णय लें कि यदि किसी को हथियार लाने की अनुमति दी जाए तो वह उसे जमा करवा सकते हैं या नहीं।
राज्य चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार पर खर्च की सीमा भी निर्धारित की है। नगर निगम चुनाव के लिए एक प्रत्याशी को अधिकतम 4 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति होगी। वहीं, एमसी काउंसिल (कक्षा A) के प्रत्याशी को 3.60 लाख रुपये, एमसी काउंसिल (कक्षा B) के प्रत्याशी को 2.30 लाख रुपये और एमसी काउंसिल (कक्षा C) के प्रत्याशी को 2 लाख रुपये तक खर्च करने की अनुमति होगी। नगर पंचायत चुनावों के लिए प्रत्याशियों को अधिकतम 1.40 लाख रुपये खर्च करने की सीमा दी गई है।
पंजाब में नगर निगम और नगर परिषद चुनावों को लेकर विवाद उठा था, जो पहले पंजाब हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि वह 10 हफ्तों के भीतर चुनाव कराए। अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें राज्य चुनाव आयोग और पंजाब सरकार को 15 दिनों के भीतर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने का निर्देश दिया गया था।
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