
जयपुर (राजस्थान). जयपुर के द्वारिकापुरी में रहने वाले दो साल के अर्जुन जांगिड़ को शनिवार को अमेरिका से मंगाए गए 17.50 करोड़ रुपए के इंजेक्शन लगाया गया। अर्जुन स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) नामक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था, जिसमें इलाज की मुख्य विधि है कि इंजेक्शन 24 माह की आयु तक ही लगाया जा सकता है। यह इंजेक्शन अर्जुन की जान बचाने के लिए अंतिम उम्मीद थी।
शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने पेश की शानदार मिसाल
अर्जुन की बीमारी का पता तब चला जब वह 22 महीने का था और डॉक्टरों ने तत्काल 17.50 करोड़ की राशि जुटाने की सलाह दी। अर्जुन की माता, पूनम जांगिड़, जो शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक के पद पर कार्यरत हैं, के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना संभव नहीं था। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अर्जुन की मदद के लिए सामने आकर एक मिसाल पेश की।
ऐसे जमा कर लिए 17 करोड़ रुपए
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने विभागीय कर्मचारियों से वेतन से सहयोग की अपील की, जिसे बड़े पैमाने पर समर्थन मिला। भामाशाहों और शिक्षक संगठनों ने भी अपनी भागीदारी दी, जिससे 17.50 करोड़ की राशि जल्दी ही इकट्ठी हो गई और अमेरिका से इंजेक्शन मंगाया गया।
इंजेक्शन लगते ही माता-पिता की आंखों में छलके खुशी के आंसू
14 सितंबर का दिन अर्जुन और उसके परिवार के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। इंजेक्शन लगने के बाद अर्जुन के माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था, और उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। इस प्रयास के जरिए न केवल अर्जुन को नया जीवन मिला, बल्कि यह घटना समाज के सहयोग और एकजुटता का प्रतीक भी बन गई है।
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