क्या है '50 विलेजर्स'? गरीब बच्चों को NEET पास कर बनाते डॉक्टर, कोचिंग से लेकर रहना-खाना तक फ्री

Published : Jun 16, 2025, 01:30 PM ISTUpdated : Jun 16, 2025, 02:03 PM IST
50 villagers seva sansthan barmer

सार

50 villagers seva sansthan barmer : बाड़मेर का '50 विलेजर्स' संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को NEET की तैयारी करवाकर डॉक्टर बना रहा है। 13 सालों में 140 से ज़्यादा छात्र डॉक्टर बन चुके हैं, NEET 2025 में 17 बच्चों ने सफलता पाई है।

50 villagers seva sansthan barmer : चमचमाती कोचिंग बिल्डिंग्स और भारी फीस के इस दौर में बाड़मेर के एक छोटे से संस्थान ने साबित किया है कि अगर जज़्बा हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती। '50 विलेजर्स' नाम की यह संस्था बीते 13 वर्षों से उन बच्चों के सपनों को पंख दे रही है, जिनके घरों में दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता है।

'50 विलेजर्स' इस साल 17 बच्चों से पास कराई NEET 2025

हाल ही में घोषित NEET 2025 के परिणामों में इस संस्था ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। इस साल यहां से 17 बच्चों ने परीक्षा पास की है। अब तक 140 से अधिक छात्र यहां से डॉक्टर बन चुके हैं, जो देशभर के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों और एम्स में पढ़ाई कर रहे हैं।

'50 विलेजर्स' का झोपड़ी से एम्स तक का सफर

 इस संस्था की खास बात है कि यहां चयन केवल प्रतिभा और आर्थिक स्थिति के आधार पर होता है। संस्थापक डॉ. भरत सारण के नेतृत्व में चलने वाला यह संस्थान बिहार के 'सुपर 30' मॉडल से प्रेरित है। हर साल 50 छात्रों को प्रवेश मिलता है, जिनमें से अधिकतर किसान, मजदूर या झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के होते हैं।

'50 विलेजर्स' में कैसे होता है चयन

चयन प्रक्रिया में सबसे पहले 10वीं में 75% अंक पाने वाले छात्र को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाता है। इसके बाद एंट्रेंस एग्जाम और घर की आर्थिक स्थिति जांची जाती है। इसके बाद छात्रों को निशुल्क कोचिंग, रहना-खाना और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है।

भामाशाह और अफसरों की मदद से चलता है सिस्टम

 इस संस्थान को किसी सरकारी फंडिंग का सहारा नहीं है। कई पूर्व छात्रों, भामाशाहों और देश के अफसरों का सहयोग इसे मजबूत बनाता है। कुछ आईपीएस और आईएएस अधिकारी भी इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं।

एक उदाहरण, एक उम्मीद '50 विलेजर्स' 

आज ना सिर्फ बाड़मेर, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन चुका है कि कैसे सही दिशा, समर्पण और सामाजिक सहयोग से बच्चों के सपनों को सच किया जा सकता है।

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