
जयपुर. जब भी हम किसी मार्केट या स्टोर पर कोई प्रोडक्ट खरीदने के लिए जाते हैं तो सामान ज्यादा होने पर वहां से कैरी बैग भी खरीद लेते हैं। इस कैरी बैग की कीमत 10 रुपए से भी कम होती है। जिस पर कोई गौर नहीं करता। लेकिन अब कैरी बैग के चक्कर में जयपुर के शू स्टोर संचालक को 6 रुपए के बदले 61 हजार रुपए चुकाने होंगे। इस संबंध में जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा फैसला सुनाया गया है।
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोहन माथुर और दुष्यंत शर्मा ने बताया कि अरविंद कुमार शर्मा ने आयोग में परिवाद पेश किया कि साल 2024 में उसने राजधानी जयपुर में स्थित बाटा कंपनी के स्टोर से एक जोड़ी चप्पल खरीदी। जिसकी कीमत 266.96 रुपए थी। परिवादी अरविंद से 32.4 रुपए जीएसटी और 6 रुपए कैरी बैग के लिए गए। ऐसे में अरविंद का टोटल बिल 305 रुपए हो गया।
अरविंद ने उस वक्त कैरी बैग के पैसों को लेकर आपत्ति जताई तो उस स्टोर के कर्मचारियों ने कहा कि कैरी बैग के पैसे तो देने ही होंगे। मजबूर होकर अरविंद को वहां पैसे देने पड़े। इसके बाद वह आयोग में पहुंचा। आयोग में सुनवाई के लिए बाटा कंपनी के द्वारा मयंक सेन नाम के शख्स को अथॉरिटी लेटर दिया गया। लेकिन मयंक की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया। जिसके बाद अब आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है।
आयोग ने इस संबंध में कहा कि उपभोक्ता जागरुक है। क्योंकि इतनी छोटी सी राशि के लिए कोई आयोग में नहीं आता। कंपनी रोजाना जूते-चप्पल बेचती है। ऐसे में कैरी बैग फ्री में देने का दायित्व भी कंपनी का होता है। बरहाल आयोग के इस फैसले की चर्चा पूरे राजस्थान में है।
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