
Bulldozer Action: अजमेर के ऐतिहासिक तारागढ़ इलाके में अचानक प्रशासनिक हलचल तेज हो गई। सुबह 7 बजे से पहले ही वन विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन की सैकड़ों सदस्यीय टीम ने क्षेत्र को चारों ओर से घेर लिया और बड़े स्तर पर अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
यह ऑपरेशन इतना बड़ा था कि इसके लिए अजमेर के अलावा टोंक, भीलवाड़ा और नागौर जिलों से भी 250 वन कर्मियों को बुलाया गया। साथ ही लगभग 900 पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी और 150 से अधिक मजदूरों को मौके पर तैनात किया गया। स्थानीय लोगों को जैसे ही इसका अंदेशा हुआ, कई दुकानदार खुद ही अपने अस्थायी ढांचे हटाते नजर आए।
वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, तारागढ़ के पैदल मार्ग से लेकर मीठा नीम दरगाह और बड़ा पीर दरगाह तक वन भूमि पर 268 अवैध रूप से बनी कच्ची-पक्की दुकानों की पहचान की गई थी। सभी अतिक्रमणों को हटाने की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही यह कदम उठाया गया।
कार्रवाई को 6 जोनों में बांटा गया। प्रत्येक जोन में 30 से 35 सदस्यीय टीम तैनात की गई जिसमें पुलिसकर्मी, वन अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी और मजदूर शामिल थे। सुरक्षात्मक उपायों के तहत सभी कार्मिकों को हेलमेट, मेडिकल किट, बारिश से बचाव के साधन और पीने के पानी की व्यवस्था दी गई।
प्रशासन ने मीडिया की एंट्री पर रोक लगाई, लेकिन तस्वीरें और वीडियो आधिकारिक रूप से जारी किए गए। मौके पर एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें भी मुस्तैद रहीं। एसपी वंदिता राणा ने बताया कि यह एक लीगल बेस्ड कार्रवाई है, जिसकी पूर्व में नोटिस देकर तैयारी की गई थी। कई लोगों ने खुद ही अपने कब्जे हटा लिए। स्थानीय लोगों से अच्छा सहयोग मिला और कहीं कोई विरोध नहीं हुआ।
कार्रवाई के दौरान किसी तरह की कोई गड़बड़ी ना हो और सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। आम आदमी और मीडिय को कोई एंट्री नही दी जा रही है। लोगों को रोकने के लिए जगह-बैरिकेडिंग की गई है।
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