डॉक्टरों का चमत्कार या विज्ञान का करिश्मा?, 8 दिन की मासूम को मौत के मुंह से बचा लाए

Kota News : राजस्थान के कोटा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे कोई साइंस का चमत्कार तो कुदरत का करिश्मा कह रहे हैं। यहां  डॉक्टरों ने एक मासूम को नया जीवन दिया और यह कहानी आने वाले समय में चिकित्सा विज्ञान की प्रेरणा बन सकती है।

 

कोटा (राजस्थान). कोटा (Kota) के झालावाड़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने मेडिकल साइंस (medical science) का अद्भुत नमूना पेश किया है। यहां के कार्डियो थोरेसिक सर्जन (Cardio thoracic surgeon) डॉ. पलकेश अग्रवाल और उनकी टीम ने मात्र 8 दिन की नवजात शिशु की ओपन हार्ट सर्जरी कर उसमें पेसमेकर लगा दिया। यह ऑपरेशन इसलिए भी खास था क्योंकि इतने छोटे बच्चे में इस तरह की जटिल सर्जरी का जोखिम बेहद अधिक होता है।

कोटा में नवजात की जान बचाने की जद्दोजहद

शिशु का जन्म 4 मार्च को कोटा के एक निजी नर्सिंग होम में हुआ था। प्रसव से पहले ही डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड के जरिए पता लगा लिया था कि बच्चे को जन्मजात हृदय संबंधी समस्या है। माता-पिता को इसकी गंभीरता समझाई गई, लेकिन कोई ठोस उपाय नहीं मिल सका। जन्म के बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 5 दिन तक इलाज चलने के बावजूद सुधार न होने पर 10 मार्च को उसे झालावाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया।

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मासूम पर जान का खतरा हर पल बढ़ रहा था

डॉ. अग्रवाल के अनुसार, नवजात को "कंप्लीट हार्ट ब्लॉक" था, जिसके कारण उसका दिल बहुत धीमी गति से धड़क रहा था—महज 40 से 50 धड़कन प्रति मिनट, जबकि सामान्य नवजात के लिए यह 125 से 150 होनी चाहिए। यह स्थिति घातक थी, क्योंकि हृदय धीरे-धीरे काम करना बंद कर सकता था और बच्ची की जान जा सकती थी।

 ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों का क्या कहना…

डॉक्टरों की टीम ने 12 मार्च को जोखिम उठाने का फैसला किया। ऑपरेशन के दौरान नवजात के हृदय में पेसमेकर लगाया गया, जिससे उसकी धड़कन 100 से 120 तक पहुंच गई। डॉक्टरों का कहना है कि पेसमेकर लगने के बाद अब बच्ची का विकास सामान्य रहेगा और भविष्य में केवल बैटरी बदलवाने की जरूरत पड़ेगी।

चिरंजीवी योजना बनी जीवनरक्षक

यह ऑपरेशन राजस्थान सरकार की चिरंजीवी योजना के तहत किया गया, जिससे माता-पिता को आर्थिक सहायता मिली। कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भी मदद का हाथ बढ़ाया। सर्जरी के बाद बच्ची की हालत में तेजी से सुधार हुआ और अब उसे नॉर्मल वार्ड में रखा गया है।

डॉक्टरों की सफलता, विज्ञान की जीत

यह ऑपरेशन न केवल चिकित्सा जगत के लिए एक उपलब्धि है, बल्कि यह भी साबित करता है कि विज्ञान की मदद से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। डॉक्टरों की इस सफलता ने एक मासूम को नया जीवन दिया और यह कहानी आने वाले समय में चिकित्सा विज्ञान की प्रेरणा बन सकती है।

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