जिनके हाथों में भ्रष्टाचार को रोकने की लगाम हो वे ही भ्रष्टाचारी हो जाएं, तो फिर कैसे भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसी जाएगी। ऐसा ही एक मामला राजस्थान से सामने आया है। जिसमें खुद डीआईजी ने हेड कांस्टेबल का नाम हटाने के 9.50 लाख रुपए रिश्वत ली है।
जयपुर. राजस्थान में पिछले करीब 2 साल से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, ACB ने रिश्वत लेने वाले हजारों भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचा है। लेकिन क्या आप कभी ऐसा सोच सकते हैं कि इसी डिपार्टमेंट में काम करने वाले किसी अधिकारी पर रिश्वत लेने के मामले को लेकर केस दर्ज हो सकता हो। अधिकारी भी कोई इंस्पेक्टर नहीं बल्कि डीआईजी. ...
डीआईजी ने 9.50 लाख की रिश्वत
पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में विष्णु कांत डीआईजी थे। जिन पर अब रिश्वत के मामले में पकड़े गए हेड कांस्टेबल का नाम हटाने के लिए 9.50 लाख की घूस लेने का केस दर्ज किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एडिशनल एसपी ललित किशोर शर्मा की रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की।
रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए थे हेड कांस्टेबल
साल 2021 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जवाहर सर्किल थाने के हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल लोकेश को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। 11 जनवरी 2023 को पीड़ित पक्ष ने सरदार सिंह के खिलाफ डीआईजी को पैसे देकर नाम हटाने की शिकायत दी।
पैसे लेकर नाम हटाया
जब जांच शुरू की गई तो सामने आया कि सरदार सिंह का भाई प्रताप भी राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल है जो स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में रहने के दौरान विष्णु कांत का गनमैन था। उसे दौरान ही प्रताप से विष्णुकांत ने रिश्वत के 9.50 लाख मांगे और सरदार सिंह का नाम हटा दिया। फिलहाल विष्णुकांत होमगार्ड डिपार्टमेंट में आईजी के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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आबकारी अधिकारी रिश्वत लेते गिरफ्तार
वही बीती रात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। जिन्होंने अलवर में शराब की दुकान, मालिक के गोदाम के पास लोकेशन पास करने के बदले 3 लाख की रिश्वत लेते जिला आबकारी अधिकारी सुरेश कुमार अहीर को गिरफ्तार किया है। जिनके ठिकानों पर अब भी सर्च जारी है।
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