
banswara cyber fraud news : राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्रों डूंगरपुर और बांसवाड़ा में एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों के नाम पर फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवाकर करीब 1800 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इस बड़े घोटाले का खुलासा सांसद राजकुमार रोत द्वारा डीजीपी को भेजे गए शिकायत पत्र के बाद हुआ है।
मामले के अनुसार, ठगों ने गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को मुफ्त पैन कार्ड, सरकारी लोन और नौकरी का झांसा दिया। भरोसे में लेने के बाद उन्हें जिला मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनके आधार और अन्य दस्तावेजों के माध्यम से बैंक खाते खोले गए। इसके साथ ही उनके नाम से मोबाइल सिम भी जारी की गई। खाता खुलते ही सारी बैंकिंग किट – जैसे चेकबुक, एटीएम कार्ड और पिन – ठग अपने पास रख लेते और पीड़ितों को वापस भेज देते।
अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि इन खातों का उपयोग साइबर अपराधों में किया गया। इन ‘म्यूल अकाउंट्स’ के जरिये देशभर में पैसों की हेराफेरी की गई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक दो दलालों को गिरफ्तार किया है – महावीर सिंह राठौड़ और विक्रम मालिवाड़। इनके साथ एक और आरोपी घनश्याम कलाल की भूमिका भी सामने आई है।
मुख्य साजिशकर्ता कौशल प्रजापत को बताया जा रहा है, जो पूर्व में बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत था और खातों की प्रक्रिया से भलीभांति परिचित था। खातों को बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एचडीएफसी और इंडसइंड बैंक की डूंगरपुर व सागवाड़ा शाखाओं में खोला गया। सांसद ने इस मामले में सभी म्यूल खातों को सीज करने और आदिवासी पीड़ितों को राहत देने की मांग की है।
यह घटना दिखाती है कि तकनीक का दुरुपयोग किस हद तक हो सकता है और ग्रामीण जनता को जागरूक रहना कितना जरूरी है। प्रशासन से मांग है कि ऐसी धोखाधड़ी पर कड़ी नजर रखी जाए और दोषियों को सख्त सजा मिले।
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