2 दुल्हन को पसंद आया एक ही दूल्हा, बोलीं-हम साथ शेयर करेंगे, दोनों ने एक ही मंडप में रचा ली शादी

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली। जहां एक दूल्ह के साथ दो दुल्हन ने एक ही मंडप में शादी की। इस विवाह को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। दोनों दुल्हन ने कहा हम सारी जिंदगी इसे साथ शेयर करेंगे।

 

बांसवाड़ा (राजस्थान). बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी क्षेत्र मेंअनोखी शादी हुई। शादी में दो दुल्हन और एक दूल्हा था। तीनों की सहमति से यह शादी हुई। दोनों दुल्हन दूल्हे को शेयर करने के लिए तैयार थी और उसके बाद दूल्हे ने आदिवासी परंपरा के अनुसार दोनों से शादी की। सबसे बड़ी बात यह थी कि एक दुल्हन का लव अफेयर करीब 20 साल पुराना था और दूसरी का अफेयर करीब 9 साल पुराना है । दोनों से एक ही मंडप में दूल्हे ने शादी कर ली और गांव के सैकड़ों लोग इस शादी के गवाह बने। दोनों दुल्हनों के बच्चे भी इस शादी में शामिल हुए ।

बिना शादी के दो प्रेमिकाओं से हो चुके दो बच्चे

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दरअसल, आनंदपुरी क्षेत्र के उपालपाड़ा गांव का रहने वाला कमलेश डामोर जब 13 साल का था तो वह मकड़ोला मकाव गांव में रहने वाली नानी देवी को नातरा ले आया था। यानी नानी देवी उसके साथ लिव-इन में रहने लग गई थी । इसके बाद 2014 में जब कमलेश डामोर बालिग हुआ तो उसने ओबरा गांव की रहने वाली टीना को चुन लिया और उसे भी अपने साथ ले आया। कमलेश दोनों के साथ ही रहने लगा और इन दोनों प्रेमिकाओं से उसके दो बच्चे हुए । नानी देवी से 8 साल की बेटी है , जबकि टीना से 6 साल का बेटा है । परिवार यूं ही चलता रहा लेकिन शादी नहीं हो सकी।

पैसा नहीं होने की वजह से नहीं हो सकी थी शादी

कमलेश डामोर के रिश्तेदारों ने बताया कि उस समय आर्थिक स्थिति कुछ सही नहीं थी , लेकिन धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी , तो अब कमलेश ने अपनी दोनों प्रेमिकाओं से एक ही मंडप में एक साथ शादी कर ली । सैकड़ों रिश्तेदार पहुंचे और हजारों ग्रामीणों ने इस शादी में आनंद उठाया।

राजस्थान की नातरा प्रथा ही नए जमाने की लिव-इन प्रथा

स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि नातरा प्रथा राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में काफी पुरानी है। प्रथा में बिना शादी के ही जोड़े साथ रहते हैं और पति पत्नी की तरह जीवन यापन करते हैं। कई जोड़े तो बुजुर्ग होने पर शादी करते हैं । लेकिन यह प्रथा बांसवाड़ा , डूंगरपुर , झालावाड़ , उदयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी चल रही है । इन क्षेत्रों में अधिकतर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं । हालांकि अब इस प्रथा में बदलाव आया है और यह काफी हद तक कम होती जा रही है, लेकिन यह नए जमाने की लिव-इन प्रथा की तरह ही है।

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