
Rajasthan News : राजस्थान की रेत में खेजड़ी सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि संस्कृति और पर्यावरण की सांस है। और अब यही खेजड़ी एक बार फिर खतरे में है। बाड़मेर जिले के बऱियाड़ा और खोड़ल गांव में सोलर कंपनियों द्वारा खेजड़ी के सैकड़ों पेड़ काटे जाने का आरोप लगा है, जिससे इलाके में बवाल मच गया है। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर #खेजड़ी_बचाओ हैशटैग से देशभर में अभियान चल पड़ा है, जो रविवार रात से एक्स (X) पर टॉप ट्रेंड कर रहा है।
शिव विधायक ने भी बिताई धरना स्थल पर रात बाड़मेर के शिव उपखंड में जब खेजड़ी के पेड़ों की कटाई की खबरें फैलीं, तो ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया। विधायक रविंद्र सिंह भाटी खुद धरना स्थल पर पहुंचे और विरोधस्वरूप वहीं चारपाई पर रात गुजारी। किसानों का आरोप है कि सोलर कंपनियों ने प्लांट लगाने के लिए बेशकीमती खेजड़ी और अन्य पेड़ों को जड़ों समेत उखाड़ दिया। विरोध बढ़ता देख पेड़ों को जलाकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई।
राजस्थान की सांस्कृतिक आत्मा खेजड़ी केवल पेड़ नहीं, राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान है। 1730 में खेजड़ी बचाने के लिए 363 लोगों ने अपनी गर्दन कटवा दी थी। बिश्नोई समाज की अमृता देवी और उनके परिवार के इस बलिदान ने इतिहास रच दिया था। उस बलिदान की याद में आज भी खेजड़ली में शहीदी मेला लगता है। लेकिन अब सोलर कंपनियों द्वारा रात के अंधेरे में इन्हीं पेड़ों को काटना और जलाना न सिर्फ एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि इतिहास और प्रकृति दोनों के साथ विश्वासघात है।
प्रशासन स्थानीय लोगों का कहना है कि कंपनियों ने बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के ज़मीन कब्जा ली और खेजड़ी जैसे संरक्षित पेड़ों को भी नहीं छोड़ा। प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों पहले से मिल रही सूचनाओं के बावजूद समय पर कार्रवाई नहीं हुई।
अब क्या आगे होगा? विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने स्पष्ट कहा है कि जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। पर्यावरण प्रेमियों और आम नागरिकों का कहना है कि यह मुद्दा केवल एक गांव का नहीं, बल्कि राजस्थान की पहचान और जलवायु संतुलन से जुड़ा मामला है।
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