राजस्थान में भले ही रेतीली जमीन है इसके साथ ही पानी की कमी भी है। इसके बावजूद भी प्रदेश खेती में नए रिकॉर्ड बना रहा है। दरअसल रेतीले धोरों के बीच आलू की खेती करते हुए किसान करोड़ों की कमाई कर रहे है।
बाड़मेर (barmer news). राजस्थान को पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व में केवल इसीलिए जाना जाता है कि यहां बड़े-बड़े रेतीले धोरे (टीले) हैं जहां पानी की कमी है केवल मिट्टी ही मिट्टी है लेकिन अब यही राजस्थान खेती के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। राजस्थान में रेगिस्तानी इलाके में बीते 3 महीने में रिकॉर्ड तोड़ आलू की खेती हुई है। यहां के केवल बाड़मेर जिले में ही 3 महीने में 25 एकड़ आलू की खेती की गई। इससे अब करीब 400 टन आलू की पैदावार होगी। ऐसे में यदि अंदाज लगाया जाए तो इस पूरी फसल से किसानों को करोड़ों की कमाई होगी। यदि किसी ने 30 बीघा से ज्यादा जमीन में आलू की खेती की है तो उसे 1 करोड़ की बचत होगी।
फ्रेंच फ्राइज के उपयोग के बढ़ते बढ़ा आलू की पैदावार
बाड़मेर के रहने वाले किसान विक्रम ने बताया कि जैसे-जैसे फ्रेंच फ्राइज का प्रचलन बढ़ता जा रहा है वैसे ही अब लोग आलू की खेती करना शुरू कर चुके हैं। राजस्थान का बाड़मेर जिला इस मामले में सबसे आगे बढ़ रहा है। पहले जहां बाड़मेर में किसान अपने पूरे परिवार को ही खेती में नहीं लगाता था वहीं अब अलग से मजदूर रखकर आलू की खेती की जा रही है। विक्रम ने बताया कि यहां होने वाली आलू की पैदावार ज्यादातर उन्हीं कंपनियों में सप्लाई की जाती है जो फ्रेंच फ्राइज का प्रोडक्शन करती हो।
ट्रेडिशनल खेती में कुछ बदलाव करने से हुआ लाभ
अब यहां के किसानों का कहना है कि उन्होंने पारंपरिक की खेती की बजाय कुछ बदलाव कर खेती करना शुरू किया तो उन्हें इसका लाभ ही हुआ है। अब वह चाहते हैं कि बाड़मेर के तारातरा फार्म को पूरे देश में देखा जाए। ऐसे में उन्होंने देशभर के किसानों से आग्रह किया है कि वह बाड़मेर आकर प्रशिक्षण ले और इसके बाद अपने क्षेत्रों में आलू की फसल बोएं। किसानों का कहना है कि फ्रेंच फ्राइज की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है क्योंकि वह प्रोटीन फूड प्रोडक्ट हो चुका है। ऐसे में यह रोजगार आजीवन चलने वाला है।
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