Bhartuharinagar Name Change: राजस्थान सरकार ने खैरथल-तिजारा जिले का नाम भर्तृहरिनगर किया है। यह नाम भर्तृहरि धाम की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करता है। स्थानीय लोग और धर्मगुरु इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।
Rajasthan Khairthal Tijara District Rename : राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर अब ‘भर्तृहरिनगर’ रखने की घोषणा कर दी है। यह कदम न केवल प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह उस सांस्कृतिक पहचान को पुनः स्थापित करने की कोशिश है जो वर्षों से इस क्षेत्र से जुड़ी रही है।
भर्तृहरिनगर जिले का क्या है महत्व
भर्तृहरिनगर नाम रखने का निर्णय प्रसिद्ध भर्तृहरि धाम के महत्व को देखते हुए लिया गया है। अलवर जिले में स्थित यह धाम लंबे समय से भक्ति और वैराग्य की प्रतीक स्थली रहा है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु भाद्रपद की अष्टमी को आयोजित मेले में शामिल होते हैं।
राजा भर्तृहरि: विरागी सम्राट से आध्यात्मिक प्रतीक तक राजा भर्तृहरि का नाम भारतीय इतिहास और दर्शन में एक विशेष स्थान रखता है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई माने जाने वाले भर्तृहरि ने सांसारिक मोह छोड़ तप और साधना का मार्ग चुना। उनकी रचनाएं—नीतिशतक, वैराग्यशतक और श्रृंगारशतक—आज भी समाज को नैतिकता और अध्यात्म का मार्ग दिखाती हैं।
स्थानीय भावना को मिला मान नाम परिवर्तन के इस फैसले का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है। धार्मिक संगठनों और साधु-संतों ने इसे ऐतिहासिक और सकारात्मक निर्णय बताया है। उनका कहना है कि यह नाम सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि प्रेरणा भी देगा।
गहलोत सरकार ने बनाया था खैरथल-तिजारा को जिला
राजनीतिक पृष्ठभूमि में यह फैसला खास यह भी ध्यान देने योग्य है कि खैरथल-तिजारा उन 17 जिलों में शामिल था जिन्हें कांग्रेस सरकार ने गठित किया था। नई सरकार ने कुछ जिलों के पुनर्गठन को रोका है, लेकिन भर्तृहरिनगर नामकरण को मंजूरी देना यह दर्शाता है कि सरकार स्थानीय परंपराओं को महत्व दे रही है।
भर्तृहरिनगर नामकरण न केवल प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि यह उस आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक परंपरा का सम्मान है जो इस क्षेत्र को विशिष्ट बनाती है।
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