अधूरे रह गए सपनेः पीएम मोदी ने नहीं की देवनारायण कॉरिडोर की घोषणा, पर राजस्थान के लिए कही ये बड़ी बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान के भीलवाड़ा शहर के असींद कस्बे स्थित भगवान देवनारायण के 1111वें प्रकटोत्सव में पहुंचे। यहां पूजा- दर्शन करने के बाद जनता को संबोधित किया। इस दौरान जनता जिस बात की उम्मीद लगाए हुए थे वह पूरी नहीं हो पाई।

भीलवाड़ा (bhilwara). भीलवाड़ा के आसींद कस्बे में भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवनारायण कोरिडोर की घोषणा नहीं की। वह करीब 40 मिनट तक मंच पर रहे और इस दौरान कई राज्यों से आए गुर्जर समाज के लोगों को संबोधित करते रहे उन्होंने राजस्थान को धरोहर की धरती बताया। कहा कि राजस्थान में उमंग है,उल्लास है, उत्सव है। यहां सब कुछ है। पढ़िए क्या कहां पीएम ने।

युवाओं को दिलाएंगे उनका हक

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गुर्जर समाज के युवाओं के लिए उन्होंने कहा कि समाज को और समाज के युवाओं को अपना हक नहीं मिला है। हम उनको हक दिलाने की कोशिश करेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री ने मंदिर में भगवान देवनारायण की पूजा अर्चना की थी। राजस्थान के गुर्जर समाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद थी कि वे देवनारायण कॉरिडोर की घोषणा करेंगे, इससे जनता के लिए राह और ज्यादा आसान हो जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान कोरिडोर का जिक्र तक नहीं किया।

देश और राजस्थान के लिए बोली ये बात

वे भारत देश और राजस्थान पर बोलते रहे। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का यह समय भारत और राजस्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। भारत में सामर्थ्य है ,इसीलिए पूरी दुनिया भारत को उम्मीद की दृष्टि से देख रही है और हम इस उम्मीद पर काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं।

फ्यूचर विजन को लेकर बोले ये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई सालों से जो समाज हाशिए पर धकेल दिए गए थे, अब उन्हें आगे लाया जा रहा है। हर समाज के हर व्यक्ति को बिजली-पानी की सुविधा दी जा रही है। बैंकों से लेनदेन आसान हो रहा है। लाइने खत्म कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री बोले की पशुधन बेहद महत्वपूर्ण है। हम चाहते हैं कि गोबर से बनने वाली एनर्जी से ही बहुत सारे काम साध लिए जाएं। इसके लिए बड़े-बड़े प्लांट लगाने की तैयारियां भी चल रही है।

भगवान देवनारायण की माता साडू माता के बारे में भी नरेंद्र मोदी ने कहा की साडू माता की साधना के बाद भगवान खुद उनकी कोख से जन्मे थे और सिर्फ 31 साल की उम्र में ही उन्होंने वैराग्य पा लिया था, यह अचरज की बात है।

इसे भी पढ़े- भीलवाड़ा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुर्जर पगड़ी पहन कर साडू माता का लिया आशीर्वाद

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