राजस्थान में 13 साल के बच्चे को ऐसी दुर्लभ बीमारी: जिसके वर्ल्ड में सिर्फ 89 केस, क्या है Carmil 2 Defect?

Published : Jul 07, 2025, 01:55 PM ISTUpdated : Jul 07, 2025, 02:01 PM IST
What is this rare disease Carmil 2 defect

सार

What is the rare disease carmil 2 defect : राजस्थान के एक 13 साल के बच्चे में दुर्लभ 'कार्मिल-2 डिफेक्ट' बीमारी का पता चला है। दुनियाभर में इसके सिर्फ 89 मामले सामने आए हैं। जेके लोन अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा है।

What is the rare disease carmil 2 defect : राजस्थान के जेके लोन अस्पताल में जेनेटिक सेंटर की शुरुआत का असर अब दिखाई देने लगा है। हाल ही में एक 13 साल के बच्चे में दुर्लभ जेनेटिक बीमारी "कार्मिल-2 डिफेक्ट" की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों का दावा है कि राजस्थान में इस तरह का यह पहला केस है और देशभर में भी इसकी संख्या बेहद कम है।

कार्मिल-2 डिफेक्ट में मासूम को क्या हो रहा था

बच्चा बीते 10 वर्षों से बार-बार होने वाले बुखार, संक्रमण और कमजोरी की समस्याओं से जूझ रहा था। कई अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी कोई स्पष्ट निदान नहीं हो सका। जब मामला जेके लोन अस्पताल पहुंचा, तो डॉक्टरों ने बच्चे के लक्षणों को देखते हुए उसे हाल ही में शुरू हुए जेनेटिक सेंटर में रेफर किया।

क्या है कार्मिल-2 डिफेक्ट डिसीज?

यहां विस्तृत जेनेटिक टेस्ट के बाद सामने आया कि बच्चा कार्मिल-2 डिफेक्ट नामक जेनेटिक बीमारी से पीड़ित है। यह एक दुर्लभ इम्यून डिसऑर्डर है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है और मरीज को बार-बार गंभीर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।

कितनी खतरनाक होती है कार्मिल-2 डिफेक्ट

वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियांशु माथुर ने बताया कि इस बीमारी की पहचान जल्दी होना बेहद मुश्किल होता है। आमतौर पर इसके लक्षण कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे डॉक्टर भी भ्रमित हो सकते हैं।

पूरी दुनिया में कार्मिल-2 डिफेक्ट के 89 केस

विश्व स्तर पर इस बीमारी के अब तक केवल 89 केस ही रिपोर्ट हुए हैं, और यह जयपुर का पहला मामला है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का इलाज बोनमैरो ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल थेरेपी से संभव है, जिसकी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।

कैसे चला इस बीमारी का पता

राजस्थान में जेनेटिक टेस्टिंग की बढ़ती जरूरत यह मामला बताता है कि प्रदेश में अब गंभीर बीमारियों की मूल जड़ तक पहुंचना संभव हो सका है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर जेनेटिक सेंटर नहीं होता, तो यह बीमारी वर्षों तक अज्ञात ही रहती। अब जरूरत है कि अनिर्दिष्ट लक्षणों वाले मामलों में जेनेटिक जांच को प्राथमिकता दी जाए।

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