
जयपुर. राज्य सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने के बाद दर्ज मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत यह कदम उठाया जा रहा है, जिससे लगभग 7 लाख मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं। गृह विभाग ने स्पष्ट किया है कि सीआरपीसी की धारा 321 के तहत विचाराधीन मामलों को वापस लेने का अधिकार सरकार के पास है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। कोर्ट में चल रहे 7 लाख मुकदमे अब वापस ले लिए जाएंगे। इससे दो फायदे होंगे, पहला कोर्ट के ऊपर अनावश्यक बोझ नहीं बढ़ेगा और दूसरा इन लोगों को बार-बार कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा । हालांकि इनका जुर्माना माफ नहीं किया जाएगा।
मोटर व्हीकल एक्ट के मामले होंगे कैंसिल
हाई कोर्ट के वकील मनोज मुद्गल ने बताया कि अधिकतर मामलों में जुर्माना वसूलने के बाद केस खत्म किए जा सकते हैं। हालांकि, मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सुनवाई अक्सर लंबी होती है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। बहुत से लोग ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों को गंभीरता से नहीं लेते और न्यायालय की तारीखों पर नहीं जाते। सरकार का यह नया निर्णय उन्हें राहत प्रदान करेगा।
सरकार के इस फैसले से होगा ये फायदा
प्रक्रिया के तहत, गृह विभाग पहले सामान्य मामलों की एक सूची तैयार करेगा। इसके बाद, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों से संपर्क किया जाएगा और उन्हें जुर्माना राशि जमा करने का विकल्प दिया जाएगा। राशि जमा करने पर उनका मामला स्वतः खत्म हो जाएगा। कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें वाहन वर्षों से थानों में पड़े हुए हैं और अब कंडम हो चुके हैं। इन मामलों मैं भी सरकार नरमी बरती है। इस निर्णय से न केवल न्यायालयों पर बढ़ते दबाव को कम किया जाएगा, बल्कि आम नागरिकों को भी राहत मिलेगी, जिससे वे बिना किसी कानूनी परेशानी के अपनी जीवनशैली को सामान्य कर सकें।
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