
जयपुर. Rajasthan News :राजस्थान में अप्रैल महीने तक गेहूं की कटाई का काम पूरा हो जाता है। इसके बाद किसान अपने खेतों को खाली नहीं छोड़ते, बल्कि कम पानी और कम लागत वाली ऐसी फसल बोते हैं जो 90 से 120 दिन में तैयार होकर दिवाली से पहले अच्छी कमाई दिला देती है। इन फसल में सबसे ज्यादा बाजरा , गवार, मूंग, मक्का, सोयाबीन और तिल हैं।
1. बाजरा: राजस्थान की परंपरागत और सबसे मजबूत खरीफ फसल। यह 80-100 दिन में तैयार हो जाती है। खाद में 40-50 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की जरूरत होती है। सिंचाई की आवश्यकता केवल 1-2 बार।
2. ग्वार: कम लागत और अधिक मांग वाली फसल, खासकर गम इंडस्ट्री में। यह 90-100 दिन में तैयार हो जाती है। एक सिंचाई और हल्की खाद से बेहतर उत्पादन मिलता है।
3. मूंग: तेजी से तैयार होने वाली फसल जो 65-70 दिन में पक जाती है। 20-25 किलो डीएपी और 1-2 सिंचाई से बेहतरीन उत्पादन मिलता है।
4. मक्का: बारिश पर आधारित इलाकों में सफल होती है। 90-100 दिन में तैयार होती है। प्रति हैक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन और 50 किलो फास्फोरस जरूरी।
5. सोयाबीन: दक्षिणी राजस्थान में प्रमुख फसल। 100-110 दिन में तैयार होती है। जैविक खाद और दो बार सिंचाई से अच्छी उपज देती है।
6. तिल: कम पानी में भी अच्छी उपज देने वाली तिल की फसल 80-90 दिन में तैयार होती है। जैविक खाद और हल्की सिंचाई से उत्पादन बढ़ता है।
जिन किसानों ने गेहूं के तुरंत बाद इन फसलों की बुवाई की, वे दिवाली तक तैयार फसल बेचकर 2-3 गुना मुनाफा कमा लेते हैं। यही वजह है कि आज ये फसलें किसानों को "सीजनल करोड़पति" बना रही हैं।
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