राजस्थान में तेजाजी महाराज की याद में अनोखा पर्व मनाया जा रहा है। इस अनोखे पर्व में सांप को गले में लेकर नाचने का हैरतअंगेज कारनामा भी दिखाया जा रहा है। सांप को लेकर नाचने की यहां पुरानी परंपरा है।
जयपुर। राजस्थान अपनी भव्य विरासत और पारंपरिक रीति रिवाजों के लिए जानी जाता है। जाट समाज और अन्य कई समाजों में प्रचलित एक अनोखा त्योहार आज यहां मनाया जा रहा है। जी हां, यहां आज तेजा दशमी पर्व मनाया जा रहा है। लोक देवता तेजी जी की याद में इस दिन गांवों से लेकर शहर तक इसका आंनद देखने को मिलता है। इसके साथ ही यहां सांपों को गले में लेकर नाचने का हैरतअंगेज कारनामा भी लोगों के लिए कौतहूल का कारण बन रहा है। सरकार ने इस बार तेजा दशमी पर सरकारी अवकाश की भी घोषणा की है।
शिव के 11 अवतारों में से एक तेजाजी महाराज
दरअसल तेजा जी महाराज राजस्थान में एक लोक देवता हैं। इन्हें सांपों के काटने से बचाने वाले यानि सांपों से रक्षा करने वाले भी कहा जाता है। पुराणों में वर्णन है कि तेजी जी महाराज साक्षात भगवान शिव के ग्यारह अवतारों में से एक हैं। आज राजस्थान में कई जिलों मे तेजाजी का मेला भरता है। जाट समाज और अन्य कई समाज में तेजा जी की इतनी मान्यता है कि गावों और कस्बों में मेले के साथ जुलूस निकाले जा रहे हैं।
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जाट परिवार में जन्मे थे तेजाजी
मान्यताओं के अनुसार तेजाजी का जन्म जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल इलाके के रहने वाले थे और उनका नाम तहाड़ जाट था। उनके माता पिता भगवान शिव के उपासक थे। उनकी माता राम कंवरी को नाग देवता के दर्शन हुए थे। संतान नहीं होने पर उन्होनें भगवान शिव की प्रार्थना की थी और उसके बाद उनको नाग रूप में भगवान में दर्शन दिए थे और कहा था कि वे जल्द ही उनकी कोख से जन्म लेंगे।
12 साल पूजा के बाद तेजाजी का हुआ था जन्म
मान्यता यह भी है कि तेजाजी की माताजी राम कंवरी ने अपने गांव में सांप की एक बांबी की पूजा 12 साल तक लगातार की थी और उसके बाद उनको पुत्र रत्न के रुप में तेजाजी मिले। वे सांपों से खिलवाड़ करते थे और सांप उनके अनुयायी थे। तभी से सांपों को गले में लेकर नाचने की परम्परा जन्मी और अब ये निभाई जा रही है।