
UPSC Success Story : राजस्थान के एक छोटे से गांव बापी से निकले रामभजन की कहानी आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। कभी ईंट भट्टों पर मजदूरी करने और बकरियां चराने वाला लड़का, अब UPSC पास कर अधिकारी बन चुका है। रामभजन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता कन्हैयालाल, गांव में मजदूरी करते थे। आर्थिक तंगी इतनी थी कि बचपन में पिता के साथ काम पर जाना पड़ता था। लेकिन किताबों से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटा।
रामभजन ने सरकारी स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई की और बारहवीं के बाद दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हो गए। लेकिन मन में था कुछ बड़ा करने का सपना, इसलिए नौकरी के साथ ही स्नातक और फिर परास्नातक की पढ़ाई भी पूरी की। UPSC की राह आसान नहीं थी। पहले सात प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार आठवें प्रयास में 667वीं रैंक के साथ रामभजन ने ये कठिन परीक्षा पास कर ली।
कोरोना काल में पिता की मृत्यु ने उन्हें तोड़ दिया, लेकिन उसी दर्द को उन्होंने हौसले में बदल दिया। वे बताते हैं कि “पिता के सपनों को पूरा करना ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी।” रामभजन की दिन की ड्यूटी और रात की पढ़ाई ने उन्हें जला डाला, लेकिन सपनों की राख में से उन्होंने सफलता की चिंगारी खोज निकाली।
रामभजन की सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने ना सरकार को कोसा, ना सिस्टम को, बस खुद को बार-बार बेहतर बनाया। उनका मानना है कि – "किस्मत से ज्यादा मेहनत पर भरोसा रखो, मंजिल अपने आप रास्ता दिखा देगी।" अब अफसर बनने के बाद रामभजन ने अपने लिए एक नया लक्ष्य तय किया है — “मैं गांव के उन बच्चों को गाइड करूंगा जो आज भी ईंट भट्ठों और खेतों में मजदूरी करते हैं, ताकि कोई और रामभजन न बनकर अफसर बन सके।”
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