
Rajasthan News : राजधानी जयपुर से हर साल रवाना होने वाली डिग्गी कल्याण जी की प्रसिद्ध लक्खी पदयात्रा का गुरूवार को मालपुरा (जिला टोंक) में शुभारंभ हो रहा है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी यह यात्रा हर साल सावन के महीने में आयोजित होती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसकी शुरुआत केवल एक परिवार की मन्नत से हुई थी।
इस वर्ष यह यात्रा 31 जुलाई को जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से शुरू होगी और रास्ते में रामनिवास बाग, गांधी सर्कल, भवानी सिंह रोड, टोंक रोड होते हुए डिग्गी कल्याण जी मंदिर, मालपुरा पहुंचेगी। समापन अवसर पर मंदिर परिसर में विशाल भंडारे और धार्मिक आयोजनों की व्यवस्था की गई है।
करीब 60 साल पहले जयपुर में एक लोहे के बड़े कारोबारी रामेश्वर प्रसाद शर्मा के कोई संतान नहीं थी। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे मालपुरा के डिग्गी कल्याण जी मंदिर तक पैदल यात्रा करें और पुत्र की कामना करें।
रामेश्वर शर्मा अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ पैदल यात्रा पर निकले और डिग्गी जाकर पूजा-अर्चना की। कुछ समय बाद उनके यहां पुत्र रत्न का जन्म हुआ। श्रद्धा से अभिभूत होकर वे अपने पुत्र को लेकर उसी कार से भगवान कल्याण जी के दरबार में पहुंचे और उसका नाम "श्रीजी" रख दिया। तभी से यह परंपरा बनी रही। हर वर्ष सावन में यह यात्रा निकाली जाती है। अब श्रीजी ही इस यात्रा की अगुवाई करते हैं और उसी पुरानी कार का उपयोग सिर्फ यात्रा के प्रचार और आस्था प्रतीक के रूप में किया जाता है।
जयपुर कमिश्नरेट ने यात्रा के मद्देनजर विशेष ट्रैफिक प्लान लागू किया है। टोंक रोड, जेएलएन मार्ग और लालकोठी चौराहा से डिग्गी की दिशा में जाने वाले सामान्य व भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया जा रहा है। दुर्गापुरा पेट्रोल पंप, गोनेर रोड और रामनिवास बाग क्षेत्र में भी यातायात को नियंत्रित किया जायगा। भारी वाहनों का प्रवेश दिनभर के लिए प्रतिबंधित रहेगा।
ट्रैफिक पुलिस ने अपील की है कि नागरिक असुविधा से बचने के लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें और अपडेट के लिए पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल्स पर नजर रखें।
डिग्गी कल्याण जी की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति की मन्नत, जन-आस्था का रूप लेकर हर साल लाखों श्रद्धालुओं की पदयात्रा में बदल गई। प्रशासनिक तैयारियों के साथ श्रद्धालुओं का उत्साह इस परंपरा को जीवंत बनाए हुए है।
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