
बीकानेर. हिंदू - मुस्लिम यह शब्द साथ में हम या तो किसी नेता के मुंह से सुनते हैं या फिर किसी फिल्म के डायलॉग में, लेकिन इन दिनों राजस्थान में दशहरा पर्व पर यह नाम साथ लिया जा रहा है जो हर जुबान पर है। क्योंकि यहां आज जो रावण का पुतला जलाया जाएगा वह पुतला एक मुस्लिम परिवार ने डेढ़ महीने की मेहनत करके बनाया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब यह पुतला किसी मुस्लिम परिवार ने बनाया हो। पिछले 2 दशक से यहां मुस्लिम परिवार ही रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले को तैयार कर रहा है।
उत्तरप्रदेश के बागपत निवासी है परिवार
यह परिवार मूल रूप से उत्तरप्रदेश के बागपत इलाके के रहने वाला है। परिवार के मुखिया मोहम्मद सलीम और बाकी लोग पहले दिल्ली और आसपास के इलाकों में रावण और बाकी पुतलों को तैयार करने का काम करते थे। सलीम के दादा को इसके लिए एक बार राष्ट्रपति से सम्मान भी मिला। करीब 23 साल पहले सलीम और परिवार के बाकी लोगों ने बीकानेर में आकर पुतले बनाना शुरू किया। किफायती रेट और बेहतर क्वालिटी होने के चलते लोगों ने इनके परिवार के बनाए पुतले को पसंद किया कि यहां पर होने वाले मुख्य आयोजन सहित दर्जनों के स्थानों के लिए पुतले इनके यहां ही तैयार होते हैं।
बीकानेर का रावण है बेहद खास
सलीम बताते हैं कि बीकानेर आने से पहले ही वह ऑर्डर लेते हैं और फिर यहां आने के बाद यहीं से सभी सामान खरीदते हैं और फिर डॉ करणी सिंह स्टेडियम में आकर करीब डेढ़ महीने पहले से ही पुतले बनाने का काम शुरू कर देते हैं। सलीम बताते हैं कि इस बार मुख्य रावण पुतला दहन का कार्यक्रम डॉ करणी सिंह स्टेडियम में होगा। यहां जिस पुतले का दहन किया जाएगा वह पुतला भी अपने आप में बेहद खास है क्योंकि रावण के जो 10 मुंह होंगे वह दोनों तरफ दिखेंगे मतलब जनता किसी भी तरफ हो उन्हें हर तरफ से रावण के मुंह नजर आएंगे। इसके साथ ही रावण को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया जाएगा और उसके सिर पर एक बड़ा मुकुट होगा। सलीम बताते हैं कि रावण का पूरा तरह से पुतला दहन होने में करीब आधा घंटे का समय लगता है।
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