राजस्थान की बेटी की संघर्ष की emotional story: उन हालातों में IITian बनी, जहां घर चलाना भी था मुश्किल

देश में इंजीनियरिंग बनने का सपना लिए हर साल लाखों बच्चे जेईई एग्जाम देते है। जिनमें कुछ हजार बच्चे ही इस परीक्षा में टॉप कर पाते है। इनमें से एक है राजस्थान के कोटा की कशिश। जिसके घर की माली हालत खराब होने के बाद भी बिना हार माने JEE में टॉप किया है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jun 26, 2023 9:17 AM IST

कोटा (kota News). हाल ही में जेईई एडवांस का रिजल्ट जारी हुआ। इस रिजल्ट में राजस्थान के हजारों स्टूडेंट्स ने टॉप किया है। लेकिन राजस्थान में कोटा की रहने वाली कशिश नाम की एक लड़की के चर्चे अब राजस्थान में आम हो चुके हैं। क्योंकि राजस्थान की इस लड़की ने उन हालातों में परीक्षा पास की है जहां घर के सभी सदस्यों का दोनों टाइम खाना खा पाना भी मुश्किल था। राजस्थान की इस बेटी के जेईई एडवांस में कैटेगरी वाइज 1216 वीं रैंक आई है।

JEE मेन में रेंक लगी 5 हजार से ऊपर फिर एडवांस में कर दिया कमाल

हालांकि जेईई मेन में कशिश की रैंक 5557 थी। लेकिन राजस्थान की यह बेटी लगातार मेहनत करती रही जिसके बाद अब परिणाम हम सबके सामने है। परिवार के हालात हमेशा से खराब रहे ऐसे में बेटी ने सोच लिया था कि अब चाहे कुछ भी हो कुछ ऐसा करना है जिससे कि परिवार की पूरी स्थिति ही बदल जाए। कशिश बताती है कि उनके पिता को ब्रेन हेमरेज हो गया था। ऐसे में दादा यशराज और परिवार के लोगों का दो वक्त खाना खा पाना भी मुश्किल था। लेकिन बुआ शालू ने एक तरफ जहां ब्यूटी पार्लर चलाकर परिवार को संबल दिया तो वही कशिश की मां वंदना सिलाई करके अपने परिवार को पालने लगी और कशिश की भी पढ़ाई करवाई।

घर में इतनी तंगी की खाने तक के पैसे पड़ जाते थे कम

कशिश बताती है कि पहले उनके पिता भूपेंद्र की मोबाइल की शॉप थी। लेकिन धीरे-धीरे बिजनेस पूरी तरह से ठप होने लगा। इसके बाद पापा ने ऑटो चलाकर परिवार का पालन पोषण करना शुरू कर दिया लेकिन पिछले साल 31 दिसंबर को पिता को ब्रेन हेमरेज हो गया उसके बाद से वह बेड रेस्ट पर ही है। पैसों की इतनी ज्यादा तंगी थी कि कई बार तो पिता के लिए दवा नहीं ला पाते थे।

जब से IIT का पता चला कशिश ने इसे ही बना लिया अपना लक्ष्य

कशिश बताती है कि उनके कोचिंग संस्थान ने भी उनकी काफी ज्यादा मदद की क्योंकि कशिश के दसवीं में 95 फ़ीसदी और 12वीं में 91 प्रतिशत अंक आए थे। इसलिए कोचिंग ने उन्हें फीस में आधी छूट दे दी। पढ़ाई के लिए कशिश के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी इंटरनेट रहा जहां से ही उन्हें जेईईमेन एडवांस और आईआईटी एंट्रेंस का पता चला।

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