
नागौर. जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में हुए ट्रक हादसे में नागौर के वीर सपूत हवलदार हरिराम रेवाड़ शहीद हो गए। जिले की जायल तहसील के राजोद गांव में जैसे ही उनकी शहादत की खबर पहुंची, मातम छा गया। हरिराम अपने परिवार के सबसे छोटे बेटे थे और 8 भाई-बहनों में सबसे दुलारे। उनका परिवार उन्हें प्यार से “लाडला” कहता था।
हरिराम फरवरी में अपने भतीजे और भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए 25 जनवरी को घर आने वाले थे। छुट्टी भी मंजूर हो चुकी थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब सोमवार को उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचा, तो पूरा गांव शोक में डूब गया।
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हरिराम की पत्नी प्रीति ने बताया कि उनकी आखिरी बातचीत 4 जनवरी की सुबह 11 बजे हुई थी। उन्होंने कहा था कि वे कैंप जा रहे हैं और दोपहर में दोबारा बात करेंगे। लेकिन दोबारा फोन आने से पहले ही हादसे की खबर पहुंच गई। प्रीति ने रोते हुए कहा, “वो हमेशा खुश रहते थे। बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उनकी यादें हमारे साथ हमेशा रहेंगी।”
राजोद गांव के हर घर में गम का माहौल था। हरिराम का बड़ा परिवार उनके स्नेह की कहानियां साझा कर रहा था। उनकी भतीजी सुलोचना ने कहा, “चाचा हमारे सबसे प्यारे थे। वे हमेशा हमारे लिए गिफ्ट लाते थे। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।”
तिरंगा यात्रा के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे नवीन ने मुखाग्नि दी और सेना ने पूरे सम्मान के साथ तिरंगा सौंपा। हरिराम के बड़े भाई रामेश्वर, जो खुद सेना से रिटायर हैं, ने कहा, “हरिराम हमेशा से बहादुर और परिवार का लाडला था। उनकी शहादत हमारे लिए गर्व की बात है।” पिता की मौत के बाद हरिराम के बेटा और बेटी सदमे में है बेटी का रो-रो कर बुरा हाल है हर कुछ देर में पिता को याद करते हुए सुबकती है। पत्नी के आंसू सूख चुके हैं।
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