
सीकर. जब भी देश में एजुकेशन सिटी या एजुकेशन हब की बात आती है तो राजस्थान के कोटा शहर का नाम हर किसी के जहन और सबसे पहले जुबान पर आता है। लेकिन जिस तरह से कोटा में छात्रों की सुसाइड और मौत की खबरें आ रही हैं उससे वहां का विश्वास उठता जा रहा है। इसकी बदौलत वर्तमान में यहां स्टूडेंट्स कम आने लगे हैं। लेकिन राजस्थान के सीकर ने कोटा की जगह ले ली है। हिंदी नीट और जेईई की तैयारी के लिए स्टूडेंट्स यहां आने लगे हैं। जहां मौजूदा समय में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे नीट और जेईई की तैयारी कर रहे हैं।
हाल ही में सीकर का नाम काफी चर्चा में आया था क्योंकि यहां एक संस्थान के द्वारा नीट में देशभर में टॉप करने पर अपने स्टूडेंट सौरव को 51 लाख रुपए दिए गए। वहीं दूसरे संस्थान के द्वारा नीट में 720 में से 720 अंक हासिल करने पर अपने स्टूडेंट देवेश जोशी को 31 लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया। साथ ही पूरे परिवार को हेलीकॉप्टर राइड भी करवाई गई।
एक्सपर्ट बताते हैं कि सीकर में स्टूडेंट्स का रुझान बढ़ने का एक बड़ा कारण है कि यहां उन्हें एजुकेशन के अलावा हाउसिंग फैसिलिटी कोटा से काफी बेहतर मिलती है।कोटा में जहां स्टूडेंट्स किराए का मकान लेकर रहते हैं तो वहीं सीकर में ज्यादातर कोचिंग संस्थानों के पास खुद के हॉस्टल है। जिनमें स्टूडेंट की केयर काफी अच्छी होती है और वह खुद को अकेला महसूस नहीं करता।
इसके अलावा सीकर में समय-समय पर स्थानीय प्रशासन और कोचिंग संस्थाएं मिलकर स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के लिए कई मोटिवेशनल प्रोग्राम भी आयोजित करती है।
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