राजस्थान के 5 सबसे बड़े गणेश मंदिर, यहां हाथ जोड़ने मात्र से पूरी हो जाती है मुराद

यह लेख राजस्थान के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों - गढ़ गणेश मंदिर, मोती डूंगरी गणेश मंदिर, सिद्ध गजानंद मंदिर और इश्किया गजानन मंदिर - के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिनकी अपनी अलग मान्यताएं और इतिहास हैं।

sourav kumar | Published : Sep 7, 2024 5:40 AM IST / Updated: Sep 07 2024, 11:11 AM IST

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जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर

जयपुर में स्थित गढ़ गणेश मंदिर गणेश जी के बालरूप के लिए जाना जाता है और यहां गणेश जी की मूर्ति आंकड़े की जड़ और अश्वमेघ यज्ञ की भस्म से बनी है। महाराजा सवाई जयसिंह के द्वारा स्थापित इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां गणेश जी की मूर्ति बिना सूंड के है। यह फोटो लेने की इजाजत नहीं है। इसलिए गणेश जी की फोटो किसी के पास नहीं है।

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रणथंभौ त्रिनेत्र गणेश मंदिर

सवाईमाधोपुर जिले के रणथंभौर किले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर गणेश जी के त्रिनेत्र स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। 10वीं सदी में राजा हमीर द्वारा बनवाया गया मंदिर स्वयंभू गणेश की मूर्ति के लिए जाना जाता है। यहां पर भक्त गणेश जी के चरणों में शादी के कार्ड चढ़ाते हैं और शुभकामनाओं के लिए चिट्ठी भेजते हैं।

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जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर

जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा पांच सौ साल पुरानी है। इसे मावली से लाकर राजा माधोसिंह प्रथम की रानी के पीहर से लाया गया था। यहां नई गाड़ी खरीदने के बाद पूजा करने की परंपरा है, जो वाहन को शुभ फल देती है।

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जोधपुर का सिद्ध गजानंद मंदिर

जोधपुर के रातानाडा में स्थित सिद्ध गजानंद मंदिर 150 साल पुराना है। इस मंदिर में विवाह के निमंत्रण की परंपरा है। मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है। यहां भक्त विवाह से पूर्व निमंत्रण देकर शुभ कार्य की सफलता की कामना करते हैं।

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जोधपुर का इश्किया गजानन मंदिर

जोधपुर का इश्किया गजानन मंदिर प्रेम में सफलता पाने के लिए युवाओं के बीच प्रसिद्ध है। संकरी गली में स्थित इस मंदिर की मूर्ति गुरों का तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी और इसे 40 साल पहले इश्किया गजानन के रूप में लोकप्रिय किया गया।

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