Ganesh Chaturthi : दुनिया का पहला गणपति मंदिर, जहां महिलाएं करती हैं बप्पा की पूजा

Published : Aug 26, 2025, 03:45 PM IST
 Kuchaman Ganesh Temple

सार

Ganesh Chaturthi 2025 : राजस्थान के कुचामन में डूंगरी गणेश मंदिर में पिछले 135 सालों से महिलाएं प्रधान पुजारी की भूमिका निभा रही हैं। यह मंदिर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है जहां पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएं पूजा करती आई हैं और स्थानीय आस्था का केंद्र है। 

Ganesh Utsav 2025 : 26 अगस्त बुधवार से गणेश उत्सव की शुरूआत हो रही है, गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में सिद्धि विनायक की स्थापना करेंगे और 10 दिन तक बप्पा की विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगे। इस दौरान देशभर के सभी गणपति मंदिरों में भीड़ देखने को मिलेगी। इसी मौके पर हम आपको बता रहे हैं, राजस्थान के डीडवाना-कुचामन जिले का कुचामन शहर एक ऐसे मंदिर के बारे में, जो अनूठी परंपरा का गवाह है। यहां महिला सशक्तिकरण का उदाहरण देखने को मिलता है। बता दें कि यह भारत ही नहीं, दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहा सिर्फ महिलाएं ही प्रधान पुजारी की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

डूंगरी गणेश में 135 वर्षों से महिलाएं ही प्रधान पुजारी

  • कुचामन शहर मेंं डूंगरी गणेश जी मंदिर में पिछले 135 वर्षों से महिलाओं को प्रधान पुजारी का दायित्व सौंपा जा रहा है। दावा है कि यह राजस्थान का पहला मंदिर है, जहां पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएं ही भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करती आई हैं।
  • महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत प्रधान पुजारी बबिता शर्मा कहती हैं, “यह जिम्मेदारी सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि यह साबित करती है कि महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती हैं।” यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि महिलाओं के सम्मान और उनके योगदान का भी प्रतीक बन गया है।

डूंगरी गणेश में कैसे शुरू हुई यह परंपरा? 

मंदिर से जुड़े सिंडोलिया परिवार के इतिहास के अनुसार, वर्ष 1891 में परिवार के तत्कालीन पुजारी का निधन हो गया था। परिवार की आर्थिक स्थिति कठिन होने पर उनकी पत्नी डालीदेवी शर्मा ने तत्कालीन शासक से मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी। उस समय महिलाओं का मंदिर में प्रधान पुजारी बनना असामान्य था, लेकिन राजा ने इसे स्वीकार किया। इसके बाद से परिवार में महिलाओं ने ही इस परंपरा को आगे बढ़ाया। वर्तमान में बबिता शर्मा इस मंदिर की प्रधान पुजारी हैं।

333 साल पुराना है डूंगरी गणेश मंदिर

आस्था का प्रमुख केंद्र डूंगरी गणेश जी मंदिर लगभग 333 साल पुराना है। यहां भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के साथ सिद्धि विनायक स्वरूप में विराजमान हैं। स्थानीय मान्यता है कि नया वाहन खरीदने, व्यवसाय में उन्नति की कामना या किसी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले श्रद्धालु यहां दर्शन करने जरूर आते हैं।

राजघरानों से जुड़ा ऐतिहासिक महत्व

मंदिर का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी है। बताया जाता है कि रियासतों के दौर में युद्ध पर जाने से पहले और विजय प्राप्ति के बाद राजा-महाराजा यहां दर्शन करने आते थे। विवाह का पहला निमंत्रण आज भी इसी मंदिर को देने की परंपरा कायम है। चुनावी मौसम में भी कई जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी यहां आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

 

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