
जयपुर (jaipur News). राजस्थान की राजनीति में आज वसुंधरा राजे का नाम सबसे पहले आता है। वह अपने तेवर और अंदाज के लिए पूरे देश में जानी जाती हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि राजे ने जब राजनीतिक पारी शुरू की थी तो वह अपना पहला ही चुनाव हार गई थीं। तब उनको उनके गुरु ने उन्हें राजनीति की ऐसी बारिकियां सिखाईं कि वह कई बड़े राजनीतिक पदों पर रही अब फिर मुख्यमंत्री की बन गईं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के राजनीतिक गुरु के बारे में, वह कौन थे।
कौन पूर्व सीएम राजे के गुरू जिन्होंने ऐसी शिक्षा दी की बन गई मुख्यमंत्री
अपना पहला ही चुनाव 87000 वोटों से हारने वाली वसुंधरा राजे जब बेहद निराश हो गई थी, उस समय उनकी माताजी राजमाता विजयराजे सिंधिया बेहद चिंतित हो गई। उन्होंने उस समय के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भैरव सिंह शेखावत के कहने पर वसुंधरा राजे को राजस्थान बुलाया और उसके बाद शेखावत ने हीं वसुंधरा राजे को आक्रामक नेता बनाया। राजे इतनी आक्रमक रही कि वह कई बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मध्यप्रदेश से की थी, लेकिन अब राजस्थान की राजनीति में उनका तगड़ा दबदबा है। दिवंगत भैरों सिंह शेखावत जो कि राजस्थान की राजनीति में बहुत बड़ा नाम रहा है, उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिर पर हाथ रखा और राजे लगातार जीत दर्ज करती चली गई । कुछ समय पहले जब भैरों सिंह शेखावत का देहांत हुआ तो वह जयपुर उनके आवास पर पहुंची और घंटों उनके देह के पास निराश बैठी रही । उनका कहना था कि मेरे राजनीतिक गुरु भैरव सिंह शेखावत जिन्होंने मुझे वसुंधरा राजे बनाया वह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहे। उनके निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है, इसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती है ।
राजनीति के गुरू भैरव सिंह शेखावत ने पूर्व सीएम राजे को राजनीति करना सिखाया
उल्लेखनीय है कि अब राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे फिर से आक्रामक बयानों के साथ सक्रिय हो गई है।पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बारे में अगर बात की जाए तो राजे अपनी आक्रामकता के लिए ही चर्चा में रहती है। फिर चाहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हो या राजस्थान की राजनीति से ताल्लुक रखने वाला अन्य कोई बड़ा नेता, उनके बयानों के आगे कई बार कोई भी नहीं टिक पाता । मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जब वसुंधरा राजे ने अपना पहला ही चुनाव बड़े अंतर से हार लिया था उसके बाद उन्होंने अपने गुरु की शरण ली । गुरु भैरों सिंह शेखावत ने उन्हें राजनीति के ऐसे दांवपेच दिखाएं और इतना माहिर कर दिया कि उसके बाद राज्य लगातार चुनाव जीतती चली गई और दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही ।
कहा जाता है कि उन्हें उनकी आक्रामकता के कारण ही कई बड़े राजनेता पसंद नहीं करते , लेकिन फिर भी उनके आगे कुछ नहीं बोल पाते, इनमें बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति से ताल्लुक रखने वाले भी कई नेता है । हाल ही में 30 जून को जब अमित शाह राजस्थान आए तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपने पास बुलाया और उनसे काफी देर तक बातचीत की । अमित शाह ने खुद से पहले वसुंधरा राजे का भाषण करने के लिए न्यौता दिया।
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