राजस्थान का वो हरणी गांव, जहां 70 साल से नहीं हुआ होलिका दहन, वजह रूह कंपा देने वाली

Published : Mar 12, 2025, 10:50 AM ISTUpdated : Mar 12, 2025, 10:56 AM IST
harni village holika dahan not happened

सार

holika dahan 2025 : राजस्थान के भीलवाड़ा के हरणी गांव में 70 साल से होलिका का दहन नहीं हुआ है। यहां के लोग सिर्फ पूजा करने आते हैं, लेकिन होली नहीं जलाते हैं। बताया जाता है कि बुजुर्ग लोग आज भी वो दिन याद करते हैं तो सहम जाते हैं। 

भीलवाड़ा. कल यानि 13 मार्च को पूरे भारत देश में शहर से लेकर हर गांव में होलिका दहन (holika dahan 2025) की जाएगी। इस मौके पर अलग-अलग परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। लेकिन सभी जगह एक बात कॉमन रहती है कि होलिका दहन करना है। लेकिन राजस्थान में एक जगह ऐसी भी है जहां पर होलिका दहन नहीं किया जाता है। पिछले करीब 70 साल से इस दिन गांव में सूनापन रहता है। इसके पीछे की वजह एक हादसा है, जिसे लोग आज भी नहीं भूले हैं, वो मंजर याद करके डर जाते हैं।

क्यों 60 साल से भीलवाड़ा के हरणी गांव नहीं जली होली

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित हरणी गांव (harni village) की। जो भीलवाड़ा से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां आज से करीब 70 साल पहले होलिका दहन के दौरान भयंकर आग लगी थी। जिससे उस समय काफी नुकसान हुआ था। गांव के लोग बर्बाद हो गए। ऐसे में वहां पंचायत बुलाई गई और होलिका दहन नहीं करने का फैसला लिया गया। ऐसे में अब होली के दिन यहां पर केवल होलिका और प्रहलाद की पूजा अर्चना की जाती है।

होलिका से एक चिंगारी उठी और पूरे गांव को जलाकर राख कर दिया

ग्रामीण बताते हैं कि करीब 70 साल पहले होलिका दहन के दौरान अचानक एक चिंगारी उठी। जिसने देखते ही देखते पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद सर्वसम्मति से होलिका दहन नहीं करने का निर्णय लिया गया। यह इंडिया का इकलौता ऐसा गांव है जहां सोने से बने प्रहलाद और चांदी से बनी होलिका की पूजा अर्चना की जाती है लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता।

70 साल पहले गांव वालों ने लिया था एक शानदार संकल्प

गांव के लोग बताते हैं कि होलिका दहन नहीं करने का निर्णय तो आज से करीब 70 साल पहले ले लिया गया था। साथ ही संकल्प लिया गया कि होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे। इसके बाद ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित करके सोने के प्रहलाद और चांदी की होलिका बनवाकर उनकी पूजा करना शुरू कर दिया।

जानिए क्यों दहन की जाती है होलिका…क्या है वजह

होली के दिन शाम को गांव के सभी लोग गांव के चौक में एकत्रित होते हैं और फिर वहां प्रहलाद और होलिका की पूजा करते हैं। इसके साथ ही होलिका और प्रहलाद की मूर्ति को थाली में सजाकर पूरे गांव में उनकी शोभायात्रा निकाली जाती है और वापस उन्हें मंदिर में रख दिया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि भगवान कि उन पर इस तरह की मनोकामना है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का भी कोई केस उनके गांव में नहीं आया।

PREV

राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

जयपुर-बीकानेर हाईवे पर बड़ा हादसा: बस और ट्रक की जोरदार टक्कर, 3 की मौत, 28 घायल
वायरल वीडियो का कमाल-मिल गया 15 साल से लापता 'लाल', पूर्व सैनिक की इमोशनल कहानी