IIFA 2025: धक-धक गर्ल ने खोले बॉलीवुड के राज, अभिनेत्रियों को मिलने वाली फीस को लेकर किया खुलासा...

Published : Mar 08, 2025, 04:31 PM IST
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सार

Madhuri Dixit IIFA Awards: जयपुर में IIFA 2025 की धूम! माधुरी दीक्षित और गुनीत मोंगा ने सिनेमा में महिलाओं की भूमिका पर की चर्चा। महिला कलाकारों को समान वेतन की जरूरत पर भी ज़ोर दिया गया।

IIFA Awards 2025 Jaipur : राजस्थान की राजधानी जयपुर इन दिनों बॉलीवुड सितारों की चकाचौंध से रोशन है। 8 मार्च से शुरू हो रहे आईफा अवॉर्ड्स 2025 (IIFA Awards 2025) के लिए फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े नाम पिंक सिटी में जुट चुके हैं। हालांकि, इस भव्य समारोह की झलक 7 मार्च से ही देखने को मिल गई, जब एक खास परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा में मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा ने भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका और उनके बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किए।

बदलते समय के साथ सशक्त हुई महिला भूमिकाएं

माधुरी दीक्षित ने अपने चार दशक लंबे फिल्मी सफर के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि शुरुआती दौर में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी सीमित थी। सेट पर सिर्फ महिला को-एक्ट्रेसेस और हेयर ड्रेसर नजर आती थीं, जबकि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाएं लगभग न के बराबर थीं।

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उन्होंने सई परांजपे जैसी निर्देशकों का जिक्र करते हुए कहा कि तब महिला निर्देशक का होना बड़ी बात मानी जाती थी। लेकिन अब समय बदल चुका है और हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। आज फिल्म निर्माण के हर विभाग में महिलाएं सक्रिय हैं, जो भारतीय सिनेमा में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।

महिला कलाकारों को समान वेतन देने की जरूरत!

परिचर्चा के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि पुरुष और महिला कलाकारों की फीस में अभी भी बड़ा अंतर है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में इसमें सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी समानता का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।

माधुरी दीक्षित ने कहा:"यह बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है और आने वाले समय में महिला कलाकारों को भी पुरुषों के समान मेहनताना मिलने की उम्मीद है।" बॉलीवुड में मेल एक्टर्स की तुलना में फीमेल एक्टर्स को कम भुगतान मिलने पर हमेशा से बहस होती रही है, लेकिन माधुरी को लगता है कि अब स्थितियां पहले से बेहतर हो रही हैं।

महिला प्रधान फिल्मों पर माधुरी की राय

माधुरी दीक्षित ने अपनी कुछ चर्चित महिला प्रधान फिल्मों जैसे मृत्युदंड और बेटा का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मृत्युदंड जैसी फिल्म की, तो कई लोगों ने उन्हें व्यावसायिक सिनेमा करने की सलाह दी। लेकिन उन्होंने महिला सशक्तिकरण की कहानी को प्राथमिकता दी और ऐसी फिल्मों को चुना जो महिलाओं की ताकत को दर्शाती हैं।

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