
Success Story: राजस्थान की धरती को अक्सर बंजर और सूखा प्रभावित माना जाता है, लेकिन यहां की कुछ महिलाओं ने इस धारणा को तोड़कर अपनी मेहनत और हिम्मत से खेती को नई पहचान दी है। ये महिलाएं अब लखपति ही नहीं बल्कि करोड़पति बनने की राह पर हैं। पुरुषों के दबदबे वाले कृषि क्षेत्र में इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। महिला दिवस के अवसर पर पढ़िए ऐसी ही पांच प्रेरणादायक महिलाओं की कहानी, जिन्होंने खेती से अपनी और अपने परिवार की तकदीर बदल दी।
जोधपुर का इलाका जहां खेती को मुश्किल माना जाता है, वहीं अन्नू ने कार्डिसेप्स मिलिट्रीज मशरूम की खेती कर अपने लिए एक नया रास्ता बनाया। इस अनोखी खेती से उनका सालाना टर्नओवर 20 से 25 लाख रुपए तक पहुंच गया है। आज वह न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं बल्कि दूसरों को भी मशरूम की खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं।
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सीकर जिले के बेरी गांव की रहने वाली संतोष पचार केवल पांचवीं पास हैं, लेकिन खेती के क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। जैविक खाद के जरिए सेब और अनार की खेती करके वह सालाना 25 लाख रुपए कमा रही हैं। उनकी सफलता से प्रेरित होकर अब कई अन्य किसान भी जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
राजस्थान के दौसा जिले की रहने वाली रूबी पारीक ने 26 एकड़ जमीन में जैविक खेती कर अपनी तकदीर बदल दी। सब्जियों की खेती के साथ-साथ वह किसानों को प्रशिक्षण भी देती हैं। जैविक खेती की बदौलत उनका सालाना टर्नओवर लाखों में है, और वह अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
जोधपुर की रहने वाली विमला सिहाग ने 1998 में 15 बीघा जमीन पर खेती शुरू की थी। आज वह बंजर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट, मशरूम और पपीता की खेती कर रही हैं। उनकी मेहनत ने यह साबित कर दिया कि रेगिस्तानी इलाकों में भी फलों की खेती की जा सकती है।
अलवर जिले के खपरिया गांव की भगवती यादव ने 13 बीघा जमीन पर आंवला, नींबू और अमरूद की खेती कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। खास बात यह है कि वह खेत में ट्रैक्टर चलाने से लेकर सभी कृषि कार्य खुद ही करती हैं। उनकी मेहनत और जज्बे ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।
राजस्थान की ये पांच महिलाएं सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई हैं। इन्होंने दिखा दिया कि अगर मेहनत और लगन हो तो खेती भी एक सफल बिजनेस मॉडल बन सकता है। इनकी सफलता से यह साफ है कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और वे आत्मनिर्भर बन रही हैं। क्या आपको लगता है कि सरकार को ऐसी महिला किसानों को और ज्यादा समर्थन देना चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!
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