
Jhalawar School Sccident: राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से मासूम बच्चों की मौत ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लेकिन यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि बड़ी लापरवाही का संकेत है। प्रदेश में 2000 से ज्यादा सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनकी बिल्डिंग जर्जर हालत में है और बच्चों की जान खतरे में बनी हुई है।
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 2256 स्कूलों की इमारतें जर्जर हैं, जहां कहीं छत टपक रही है तो कहीं दिवारें गिरने वाली हैं। तो कहीं बिजली, फर्नीचर और ब्लैक बोर्ड जैसी मूलभूत सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं। कई स्कूलों में पानी टपकता है, तो कहीं लोहे के सरिए नजर आते हैं। जिनको देखकर लगता है कि यह कभी भी गिर सकते हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार ने स्कूलों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए मंजूर किए…लेकिन इमारतों की हालत देखकर नहीं लगता है कि यहां काम हुआ है। इसलिए तो यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर वह 325 करोड़ रुपए कहां गए जो सरकार ने 49 प्रमुख कार्यों के लिए मंजूर किए थे।
पिछले 15 दिनों में करीब 1.27 लाख से ज्यादा मरम्मत के काम करने का दावा तो किया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी 7500 से ज्यादा स्कूलों में मरम्मत अधूरी है और बच्चे खतरे में पढ़ाई कर रहे हैं।
31 जनवरी से 24 मार्च 2025 के बीच विधानसभा सत्र में 8 विधायकों ने शिक्षा विभाग से स्कूलों की जर्जर हालत पर सवाल किए। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया।
झालावाड़ हादसे के बाद राज्यभर में गुस्सा है। लोग पूछ रहे हैं कि जब रिपोर्ट पहले से थी, बजट जारी हो चुका था, तो फिर काम क्यों नहीं हुआ? आखिर सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को क्यों भुगतना पड़ा?
राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।