
jaguar pilot lokendra singh : हरियाणा के रोहतक जिले का जांबाज़ बेटा स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु अब तिरंगे में लिपटकर घर लौटे हैं। 32 वर्षीय लोकेंद्र चूरू (राजस्थान) के पास हुए एक भीषण फाइटर जेट हादसे में शहीद हो गए। जिस वक्त हादसा हुआ, वे जगुआर फाइटर जेट में एक को-पायलट को ट्रेनिंग दे रहे थे।
लोकेंद्र सिंह की शहादत सिर्फ ड्यूटी निभाना नहीं था, यह एक ऐसी कुर्बानी थी जिसमें उन्होंने खुद को गंवाकर गांव को बचाया। जगुआर जब बहुत नीची उड़ान पर था और टेकऑफ की कोई संभावना नहीं बची थी, तब भी उन्होंने विमान को घनी आबादी से दूर ले जाकर हादसे को टाल दिया। यह निर्णय उनकी बहादुरी और सेवा भावना की मिसाल बन गया।
लोकेंद्र का जन्म 1992 में रोहतक में हुआ था। बचपन से ही सपना था वायुसेना में जाने का। उन्होंने 2010 में 12वीं पास करते ही एनडीए की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की और 2015 में भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। 2024 में उनकी पोस्टिंग राजस्थान के सूरतगढ़ में हुई।
शादी के करीब साढ़े चार साल बाद आए इस बेटे को उन्होंने पहली बार ड्यूटी से लौटने से पहले वीडियो कॉल पर देखा। 30 जून को ड्यूटी पर लौटे, लेकिन 10 जुलाई को शहीद हो गए। परिवार ने बेटे का चेहरा देखने की उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी की, लेकिन खुद फिर वह चेहरा कभी नहीं देख सके। लोकेंद्र के परिवार में देशसेवा की परंपरा रही है। उनकी बहन अंशी एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर रह चुकी हैं और जीजा विंग कमांडर हैं।
आज दोपहर रोहतक के रामबाग में सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूरे इलाके में शोक है, लेकिन साथ ही यह भी गर्व है कि देश ने एक ऐसा योद्धा खोया है जिसने आखिरी सांस तक फर्ज को निभाया।
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