जयपुर में थमी ऐप कैब्स की रफ्तार: ऑफिस जाना हो या स्टेशन, हर कहीं पसरा इंतजार

Published : Jun 02, 2025, 03:51 PM IST
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सार

Jaipur cab strike: जयपुर में ओला, उबर समेत सभी कैब सेवाएं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर। कम कमाई और शोषण से परेशान ड्राइवरों ने किया सड़कों पर प्रदर्शन। आम जनता को आवागमन में भारी परेशानी।

Jaipur Ola Uber strike: राजस्थान की राजधानी जयपुर में 1 जून की रात से शहर की धड़कन मानी जाने वाली ऐप बेस्ड कैब सेवाएं जैसे ओला, उबर और रैपिडो अचानक बंद हो गईं। वजह है कैब चालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, जिसने सुबह से ही हजारों लोगों की दिनचर्या बिगाड़ दी। कोई दफ्तर नहीं पहुंच सका तो कोई अस्पताल तक नहीं जा पाया — शहर में यातायात का यह संकट हर आम आदमी की जेब और सहनशीलता दोनों की परीक्षा ले रहा है।

कैब चालकों का फूटा गुस्सा: कम कमाई, ज्यादा शोषण

इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे राजस्थान ड्राइवर्स एसोसिएशन और क्रांतिकारी टैक्सी यूनियन का कहना है कि ऐप कंपनियों की नीतियों ने ड्राइवरों की कमर तोड़ दी है। यूनियन से जुड़े अजय सैनी के मुताबिक, बार-बार शिकायतों के बावजूद कंपनियां सुनवाई नहीं करतीं,  उल्टा ड्राइवरों की ID सस्पेंड कर देती हैं।

क्या हैं कैब चालकों की मुख्य मांगे?

  1. न्यूनतम किराया दर सरकार द्वारा तय की जाए।
  2. ऐप कंपनियों के जयपुर में लोकल ऑफिस खोले जाएं ताकि समस्याओं का समाधान हो सके।
  3. चालकों को बीमा और सामाजिक सुरक्षा दी जाए।
  4. निजी रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों को कैब सेवा से हटाया जाए, जिससे लाइसेंस प्राप्त ड्राइवरों को मौका मिले।

गिग वर्कर्स कानून बना, लेकिन ज़मीन पर नहीं उतरा

राजस्थान सरकार ने साल 2023 में गिग वर्कर्स कानून पास किया था, जिसमें ऐप बेस्ड ड्राइवरों को सुरक्षा और सामाजिक लाभ देने की बात थी। लेकिन अब तक उसके नियम और गाइडलाइन ज़ारी नहीं की गईं। यही कारण है कि कैब चालकों को कोई ठोस फायदा नहीं मिला।

जनता बेहाल: कैब ऐप्स पर घंटों वेटिंग, किराए में भी उछाल

आज सुबह जयपुरवासियों को कैब बुक करने में जबरदस्त दिक्कत का सामना करना पड़ा। ऐप्स पर गाड़ियाँ 'नॉट अवेलेबल' दिखाई देने लगीं और कुछ जो दिखीं, उनका किराया आसमान छू गया। कई लोगों को ऑटो या बस स्टैंड तक पैदल जाना पड़ा।

क्या सरकार और कंपनियां दे पाएंगी हल?

जब तक सरकार और ऐप कंपनियां मिलकर कोई स्थायी समाधान नहीं निकालतीं, तब तक जयपुर जैसे बड़े शहरों में आम जनता की परेशानी और कैब चालकों की नाराज़गी दोनों बढ़ती रहेंगी। ये हड़ताल सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि गिग इकॉनॉमी में काम करने वाले हजारों लोगों की लड़ाई बन चुकी है, रोजगार, सम्मान और सुरक्षा के लिए।

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