
जयपुर. राजस्थान के जयपुर (jaipur news) जिले में स्थित फागी उपखंड के निमेड़ा गांव में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जहां 10 साल की मासूम बच्ची ने अपनी जान की परवाह किए बिना आग की लपटों में कूदकर अपने छोटे भाई.बहनों को बचा लिया। उसके छोटे-भाई बहनों की उम्र तीन महीने से लेकर 6 साल तक है।
आग का तांडव और अकेली बहादुर बच्ची घटना दोपहर बाद की है। जब मांसी नदी किनारे बसी बंजारा बस्ती में अचानक शॉर्ट सर्किट से एक घर में आग लग गई। उस समय घर में सिर्फ बच्चे मौजूद थे। पुरुष मजदूरी पर गए थे और महिलाएं खेतों में काम कर रही थीं। छठी कक्षा में पढ़ने वाली सरिपना घर पर अपने छह छोटे भाई.बहनों की देखभाल कर रही थी। तभी उसकी छोटी बहन कोमल ने उसे बताया कि घर में आग लग गई है।
जलती झोपड़ी और नन्ही जान की सूझबूझ सरिपना ने पहले आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन जब लपटें तेज हो गईं, तो उसने बिना देर किए सबसे पहले चारपाई पर सो रहे 18 महीने के हर्षित और तीन महीने के रामधणी को गोद में उठाया और बाहर ले गई। इसके बाद, वह दोबारा जलते हुए घर में घुसी और सात साल की कोमल, छह साल की शीतल, चार साल की नीतु और तीन साल की रितिका को सुरक्षित बाहर निकाल लाई। इस दौरान उसके बाल और हथेली झुलस गए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
जयपुर प्रशासन ने दिया मदद का भरोसा बच्चों को बचाने के बाद सरिपना ने शोर मचाया, जिससे गांववाले मौके पर पहुंचे। आग इतनी भीषण थी कि तीन झोपड़ियां जलकर राख हो गईं। कुछ मवेशी जिंदा जल गए, जिन्हें बचाने के लिए सरिपना ने फिर से हिम्मत दिखाई, लेकिन लोगों ने उसे रोक लिया। पास के स्कूल से शिक्षक अवधेश शर्मा पहुंचे और पानी का टैंकर मंगवाया। कुछ देर बाद सरपंच और पटवारी भी पहुंचे और पीड़ित परिवार को सहायता का आश्वासन दिया। इस छोटी बच्ची की बहादुरी पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई है। उसकी हिम्मत ने साबित कर दिया कि सच्चा साहस उम्र का मोहताज नहीं होता।
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