
जयपुर, Jaipur News आधुनिक खेती में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग न केवल मिट्टी की उर्वरता को खत्म कर रहा है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। हाल ही में हुए एक शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि प्रसूताओं और मवेशियों के दूध में 23 प्रकार के कीटनाशकों के अवशेष मिले हैं। जयपुर के जनाना अस्पताल (Jaipur Lady Hospital) और महिला चिकित्सालय से लिए गए 101 सैंपलों में एक भी ऐसा नहीं था, जिसमें कीटनाशकों के तत्व न हों।
राजऋषि कॉलेज, अलवर की एसोसिएट प्रोफेसर और विष वैज्ञानिक डॉ. ममता शर्मा के अनुसार, खेतों में कीटनाशकों का अंधाधुंध छिड़काव मां के दूध तक को विषैला बना रहा है। विशेष रूप से हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में स्थिति और भी गंभीर है, क्योंकि पंजाब से बहकर आने वाला रसायनयुक्त पानी यहां की सिंचाई प्रणाली में मिल जाता है। इससे मिट्टी और जल दोनों प्रदूषित हो रहे हैं, जिसका प्रभाव मानव शरीर तक पहुंच रहा है।
शोध में पाया गया कि नव प्रसूताओं के दूध में ऑर्गेनोक्लोरीन कीटनाशक जैसे डीडीटी, एंड्रिन, एंडोसल्फान, क्लोरडेन, हेप्टाक्लोर, डाइएलड्रिन और एल्ड्रिन शामिल हैं। यही कीटनाशक मवेशियों के दूध में भी पाए गए हैं, जिससे डिब्बाबंद दूध भी सुरक्षित नहीं रह गया है।
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2. डायबिटीज और कुपोषण: शोध में पाया गया कि गांवों में कम उम्र में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, और कीटनाशकों के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
3. तंत्रिका तंत्र पर असर: ये रसायन शरीर की नर्वस सिस्टम पर असर डालते हैं, जिससे याददाश्त कमजोर होने और मानसिक विकास प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।
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