Jaisalmer Bus Fire: AC बस में क्यों नहीं था इमरजेंसी गेट? ये 10 सुरक्षा उपाय बचा सकते थे जान

Published : Oct 15, 2025, 09:45 AM IST
Jaisalmer tragedy

सार

Jaisalmer Bus Fire Tragedy:राजस्थान की एसी स्लीपर बस में लगी आग ने 20 यात्रियों की जान ले ली। दरवाजा क्यों लॉक हुआ? इमरजेंसी गेट कहां था? एसी बसों में सुरक्षा के उपाय क्या हैं और आप कैसे बच सकते हैं? जानें पूरी सच्चाई।

जैसलमेर। एसी स्लीपर बस फायर दुर्घटना (AC Sleeper Bus Fire Accident) ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया। मंगलवार दोपहर 3 बजे जैसलमेर से जोधपुर जा रही एसी स्लीपर बस में अचानक आग लग गई। हादसे में 20 यात्रियों की मौत हो गई और 15 गंभीर रूप से घायल हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि दरवाजा कैसे लॉक हुआ? और इमरजेंसी गेट क्यों नहीं था?

बस में सवार लगभग 35 यात्री आग की लपटों में फंस गए। कुछ ही लोग किसी तरह बाहर निकल पाए, लेकिन अधिकांश यात्री अंदर ही रह गए। घायलों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेज़ थी कि ड्राइवर भी बस रोकने के प्रयास में असफल रहा।

क्या तकनीकी खामियों ने बढ़ाई त्रासदी?

हादसे के बाद यह साफ हुआ कि बस में कई फायर सेफ्टी और सुरक्षा मानकों की अनदेखी थी। बस में इमरजेंसी गेट नहीं था, और मुख्य दरवाजा आग की लपटों में लॉक हो गया। वेंटिलेशन सिस्टम भी काम नहीं कर रहा था। अगर बस में फायर अलार्म और ऑटोमेटिक सेंसर लगे होते, तो यात्री समय रहते बाहर निकल सकते थे।

 

 

AC बसों में क्या होने चाहिए सुरक्षा उपाय?

विशेषज्ञों के अनुसार, एसी बसों में निम्न सुरक्षा इंतजाम अनिवार्य होने चाहिए:

  1. फायर एक्सटिंग्विशर: बस में कम से कम दो, एक आगे और एक पीछे।
  2. इमरजेंसी एग्जिट: कम से कम एक दरवाजा और खिड़कियां जिससे लोग बाहर निकल सकें।
  3. ग्लास ब्रेक हैमर: खिड़की के पास शीशा तोड़ने के लिए।
  4. फायर-रेसिस्टेंट मटीरियल: सीट, पर्दे और वायरिंग आग प्रतिरोधक हों।
  5. इमरजेंसी लाइटिंग: बिजली कटने पर बैकअप लाइटें। 
  6. CCTV कैमरे और GPS ट्रैकिंग: बस की निगरानी और रीयल टाइम लोकेशन।
  7. ऑटोमेटिक फायर अलर्ट सेंसर: आग या धुआं फैलते ही अलार्म बजे।
  8. स्पीड गवर्नर: बस की गति पर नियंत्रण।
  9. RTO सुरक्षा ऑडिट: हर 6 महीने में।
  10. ड्राइवर ट्रेनिंग: फायर सेफ्टी ड्रिल, फर्स्ट एड और थकान प्रबंधन।

 

 

कैसे बच सकती थी यात्रियों की जान?

अगर बस के मेन गेट और इमरजेंसी गेट सही से काम कर रहे होते, और अंदर फायर अलार्म तथा वेंटिलेशन सिस्टम मौजूद होते, तो शायद इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती। बस की सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने 20 यात्रियों की जिंदगी छीन ली।

बस की हालिया जानकारी

जिस बस में आग लगी वह केके ट्रैवल्स की थी। बस को 1 अक्टूबर को रजिस्टर किया गया, 9 अक्टूबर को परमीट मिला और 14 अक्टूबर को हादसा हुआ। यानी बस केवल 14 दिन पुरानी थी। हादसे के समय बस में कुल 35 यात्री सवार थे, जिनमें से कुछ घायल अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

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