
rcb victory parade bangalore stampede : रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की पहली IPL ट्रॉफी जीत के जश्न का माहौल सोमवार को मातम में बदल गया, जब बेंगलुरु में निकाली गई विक्ट्री परेड के दौरान भयानक भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों घायल हैं। यह घटना उस वक्त हुई जब हजारों की संख्या में प्रशंसक टीम को देखने के लिए बिना किसी नियंत्रित व्यवस्था के सड़कों पर जमा हो गए। देखते ही देखते RCB टीम की जीत की यह खुशी मातम में बदल गई। इस खबर ने देशभर को हिलाकर रख दिया है। ठीक इसी तरह एक हदासा राजस्थान के जोधपुर में हुआ था. जिसमें 10 या 20 नहीं 224 लोगों की मौत हुई थी।
बेंगलुरु भगदड़ हादसा न सिर्फ पूरे देश को झकझोर गया, बल्कि राजस्थान के जोधपुर स्थित चामुंडा माता मंदिर में 2008 में हुए भगदड़ हादसे की भयावह यादें भी ताजा कर गया। उस हादसे में 224 श्रद्धालुओं की जान गई थी, जब नवरात्र के पहले दिन मंदिर में भारी भीड़ जमा हो गई थी और सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मच गई थी।
17 साल पहले हुए हादसे में मौत का यह मंजर इतना भयानक था कि जिसने भी इसे देखा था उसका कलेजा कांप गया था। जहां देखे वहां लाशों का अंबार लगा था। जिसमें बुजुर्ग से लेकर बच्चे और महिलाओं तक की मौत हुई थी। बताया जाता है कि राजस्थान के इतिहास में किसी भी धार्मिक स्थल पर इससे बड़ा हादसा पहले कभी नहीं हुआ।
दोनों हादसों में भीड़ प्रबंधन की विफलता, अफवाहें या भावनात्मक उन्माद, और संकीर्ण रास्तों या खुले मैदानों में व्यवस्था का अभाव सामने आया। RCB परेड का यह हादसा बताता है कि चाहे वह धार्मिक आयोजन हो या खेल जीत का उत्सव—भीड़ का वैज्ञानिक और जिम्मेदार प्रबंधन कितना जरूरी है।
सरकार और आयोजकों को अब यह समझना होगा कि केवल आयोजन करना ही नहीं, बल्कि भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन व्यवस्थाओं की मजबूत तैयारी भी उतनी ही अनिवार्य है। भीड़ कभी भी जश्न को त्रासदी में बदल सकती है, अगर उसे समय रहते संभाला न जाए। RCB फैंस के जश्न में मातम का यह काला साया एक चेतावनी है। इससे सरकार और आयोजकों को कुछ ना कुछ ज रूर सबक लेना चाहिए…
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