कोटा में स्टूडेंट-टीचर के सुसाइड के बाद आ रही बड़ी खबर, कोचिंग वालों के उड़े होश

Published : Jan 11, 2025, 02:32 PM IST
KOTA NEWS

सार

कोटा में एक और छात्र ने की आत्महत्या, प्रशासन ने बिना एंटी-हैंगिंग डिवाइस वाले हॉस्टल को सील किया। बढ़ते सुसाइड मामलों के बीच प्रशासन की सख्ती।

कोटा. राजस्थान का कोटा शहर जिसे एजुकेशन सिटी के नाम से भी पहचाना जाता है। यहां आईआईटी और नीट की तैयारी करने के लिए देशभर से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। यहां पिछले कई सालों में स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक सप्ताह के अंतर दो स्टूडेंट और एक टीचर ने आत्महत्या की है। तीन मामलों के बाद अब कोटा प्रशासन ने कोचिंग और हॉस्टल वालों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है।

सुसाइड वाला कमरा हुआ सीज…ये रही वजह

हाल ही में मंगलवार को हरियाणा के छात्र नीरज जाट ने अपने पीजी के कमरे में पंखे के कड़े से फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। अब इस मामले में प्रशासन बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन के द्वारा पीजी को ही सीज कर दिया है। क्योंकि वहां पर एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगाया गया था।

अब लगेंगी सभी कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस

दरअसल, कोटा में सालाना दो दर्जन स्टूडेंट सुसाइड मामले सामने आते हैं। लगातार सुसाइड के मामलों को बढ़ता देखकर प्रशासन द्वारा निर्णय लिया गया था कि हॉस्टल और पीजी संचालक सभी कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाएंगे। जिससे कि यदि कोई छात्र फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड करने की कोशिश करेगा तो सफल नहीं हो सकेगा। लेकिन अब तक कोटा में करीब 90% हॉस्टल में ही यह काम पूरा हो सका है। कई हॉस्टल और पीजी में आज तक एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में अभी प्रशासन का निर्णय है कि जब तक एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगाए जाते तब तक स्टूडेंट्स को कमरों में नहीं रखा जाए।

अब कोचिंग और हॉस्टल वालों पर सख्त कार्रवाई

मामले में कोटा के सिटी एडीएम का कहना है कि अंबेडकर नगर में स्थित मकान नंबर सी 15 को सीज कर दिया गया है। कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के दो मामले आने के बाद हम गाइडलाइंस की पालना को लेकर लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। गाइडलाइंस की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढ़ें- कोटा में फिर एक NEET स्टूडेंट का अंत: मौत के फंदे पर लटक गया हरियाणा का नीरज

इसलिए कोटा में छात्र कर रहे सुसाइड

आपको बता दें कि कोटा में हर साल औसत 15 से 20 सुसाइड के मामले सामने आते हैं। ज्यादातर मामलों में मौत का कारण पढ़ाई का प्रेशर या तनाव रहता है। क्योंकि यहां बच्चे कई घंटे तक लगातार पढ़ाई करते रहते हैं। बच्चे यहां खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। जिसके चलते मानसिक तनाव में आकर वह सुसाइड कर लेते हैं।

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