श्मशान के मंदिर का रहस्य: यहां महाशिवरात्रि पर आधी रात को होती है अनोखी शिव पूजा

Published : Feb 23, 2025, 11:06 AM ISTUpdated : Feb 23, 2025, 11:07 AM IST
Bhilwara News Gupteshwar Mahadev Temple

सार

भीलवाड़ा के पंचमुखी मुक्तिधाम स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर आधी रात को होती है पूजा। जानिए, इस अनोखी परंपरा के पीछे का रहस्य और लोगों की आस्था।

भीलवाड़ा. 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व आ रहा है। इस पर्व को लेकर अभी से ही प्रदेशभर के शिव मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी है। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पंचमुखी मुक्तिधाम में स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में भी महाशिवरात्रि को लेकर तैयारी की जा रही है। हालांकि मुक्तिधाम में भगवान शिव के मंदिर तो काफी होते हैं। लेकिन वहां काफी कम ही लोग पूजा करने के लिए जाते हैं।

भीलवाड़ा के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में क्यों लगती भीड़

 गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त महाशिवरात्रि को दर्शन करने के लिए आते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि यह दोपहर में नहीं बल्कि रात के समय मंदिर में दर्शन करने आते हैं। केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी रात के समय इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए आती है।

गुप्त रूप से की गई थी शिवलिंग की स्थापना

यह मान्यता यहां पिछले कई सालों से चली हुई आ रही है। जब इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की गई थी तो वह रात्रि के समय गुप्त रूप से की गई थी। तभी से यहां रात के समय ही महाशिवरात्रि पर पूजा होती है। लोगों की इस मंदिर को लेकर काफी आस्था है। केवल भीलवाड़ा शहर ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।

मंदिर को गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का नाम दिया गया था

मंदिर के पुजारी रवि कुमार कहते हैं कि यह मंदिर करीब 10 साल पुराना है। मंदिर में शिवलिंग की स्थापना मध्य रात्रि के वक्त हुई थी। जब यहां शिवलिंग की स्थापना की जा रही थी तब से ही इस मंदिर को गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का नाम दिया गया था। यहां आमतौर पर तो हर मंदिर की तरह पूजा सुबह और शाम के समय होती है लेकिन महाशिवरात्रि पर यहां रात को पूजा होती है। पुजारी रवि कुमार बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर यहां पंचामृत अभिषेक किया जाता है। ऐसे में मंदिर में दर्शन करने और पुष्प चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जिन लोगों पर कालसर्प दोष है वह भी भगवान शिव की पूजा करने से हट जाता है।

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