
राजस्थान में मोदी का फैसला बदलने की तैयारी, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से जुड़ी बड़ी खबर
जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2010 में संशोधन करते हुए सरकार ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
नो-डिटेंशन पॉलिसी के तहत, कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों को परीक्षा में असफल होने पर भी अगली कक्षा में स्वतः प्रोन्नत कर दिया जाता था। लेकिन अब नए नियमों के अनुसार, विद्यार्थियों को उनकी वार्षिक परीक्षा में पास होना अनिवार्य होगा। यदि वे असफल होते हैं, तो उन्हें दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। अगर वे इसमें भी पास नहीं होते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रहना होगा।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे दूरदर्शी कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह बदलाव न केवल शिक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा बल्कि विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति गंभीरता और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करेगा। इसके परिणामस्वरूप छात्रों का समग्र विकास संभव होगा और भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई दिशा मिलेगी।
राज्यों की मांग पर लिया गया फैसला यह निर्णय राज्यों की पुरानी मांग पर आधारित है। 2015 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में 28 में से 23 राज्यों ने नो-डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि यह पॉलिसी विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं करती और कक्षा 10वीं में फेल होने वालों की संख्या बढ़ा देती है। कई राज्यों ने पहले ही कक्षा 5 और 8 में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट न करने का निर्णय ले लिया था।
केंद्र सरकार का यह निर्णय शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा। यह न केवल छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाएगा बल्कि देश की शिक्षा प्रणाली को अधिक सुदृढ़ और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
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