'मुझे मां कहने वाला कोई नहीं बचा...बेटा बेटी दोनों की मौत, झालावाड़ हादसे की सबसे दुखद कहानी

Published : Jul 26, 2025, 06:34 PM ISTUpdated : Jul 26, 2025, 06:39 PM IST
Jhalawar school accident

सार

Jhalawar School Accident : झालावाड़ के स्कूल हादसे ने 7 परिवार के चिरागों को खत्म कर दिया। इस एक्सीडेंट इतना भयानक दुख दिया है जिंदगी भर नहीं भरेगा। एक मां के तो दो बच्चों की जान इस हादसे में चली गई। अब कोई उसको मां कहने वाला तक नहीं बचा।

Jhalawar News : राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार को जो हुआ, उसने पूरे गांव को हिला कर रख दिया। पिपलोद गांव की एक साधारण सी सुबह, जो बच्चों की प्रार्थना और हँसी से शुरू हुई थी, चंद मिनटों में मातम में बदल गई। सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिर गई और उसके मलबे में दबकर 7 मासूम बच्चे हमेशा के लिए खामोश हो गए।

‘अब आंगन सूना हो गया है’

12 साल की मीना और 6 साल के कन्हा की मां सदमे में है। उनकी गोद अब खाली है, आंखें पथराई हुई हैं। वह बस इतना कहती हैं, "मैं क्यों नहीं गई उनके बदले... घर में अब खेलने की आवाज़ नहीं आती, अब कौन मुझे मां कहकर बुलाएगा। उनके ये शब्द पूरे गांव को रूला रहे हैं।

झालावाड़ में एक साथ 5 बच्चों का अंतिम संस्कार

 शनिवार सुबह गांव में पांच बच्चों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दो अन्य बच्चों को उनके घरवालों ने अलग से विदा किया। अस्पताल की मोर्चरी के बाहर माताएं अपने बच्चों की लाशों से लिपटकर रोती रहीं। कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था, कोई चीख-चीखकर न्याय की मांग कर रहा था।

झालावाड़ हादसे के पीछे लापरवाही का आरोप 

ग्रामीणों का आरोप है कि जिस समय हादसा हुआ, उस समय अध्यापक स्कूल के बाहर थे और बच्चे अकेले अंदर प्रार्थना कर रहे थे। एक मां ने सवाल उठाया, "शिक्षक बाहर क्या कर रहे थे? बच्चों को अकेले क्यों छोड़ा गया?"

प्रशासन ने दिए एक्शन के संकेत 

जिला कलेक्टर अजय सिंह ने पांच कर्मचारियों को सस्पेंड कर जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा, "अगर निलंबन से बात नहीं बनी, तो बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जाएगी।" सरकार ने मृतक परिवारों को ₹10 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है।

गुस्से में बदला मातम, सड़कों पर उतरे लोग 

हादसे के बाद गांव और अस्पताल के बाहर लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुराड़ी सर्कल और SRG अस्पताल के बाहर आक्रोशित भीड़ ने पथराव किया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। कांग्रेस नेता नरेश मीणा जब मौके पर पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

बच्चों को ऐसी इमारत में पढ़ाना क्यों जारी

प्रशासन ने माना है कि स्कूल की बिल्डिंग की जर्जर हालत की कोई पूर्व चेतावनी नहीं मिली थी। मगर अब सवाल यह है कि बिना जांच के बच्चों को ऐसी इमारत में पढ़ाना क्यों जारी रखा गया?

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