
जयपुर (राजस्थान). जयपुर के भांकरोटा में हुए दर्दनाक गैस टैंकर हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। इस हादसे में कई लोगों की मौत हुई और कई झुलस गए। इन मृतकों में ठीकरिया पंचायत के बालमुकुंदपुरा गांव निवासी राधेश्याम चौधरी भी शामिल थे। राधेश्याम रोज की तरह एनबीसी कंपनी में अपनी नौकरी पर जाने के लिए घर से निकले थे। लेकिन भांकरोटा पहुंचते ही वे आग की लपटों में फंस गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़ राधेश्याम की मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। उनके पिता की कुछ साल पहले सड़क हादसे में ही मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी राधेश्याम के कंधों पर आ गई थी। वह अपनी नौकरी से अपनी मां, छोटे भाई, पत्नी और दो बच्चों का पालन-पोषण कर रहे थे। उनकी 14 साल की बेटी आयशा और 8 साल का बेटा दीक्षित अब अनाथ हो गए हैं। इस खबर के बाद उनके घर में कोहराम मच गया। पत्नी और मां बार-बार बेहोश हो रही थीं, और पूरे गांव में शोक की लहर है।
हादसे में हरलाल की मौत ने भी उसके परिवार को टूटने पर मजबूर कर दिया। हरलाल अपने मामा सेज निवासी मोहनलाल से मिलने आया था। जाते समय मोहनलाल ने उसे ट्रक में बैठाया था, लेकिन कुछ ही देर में हादसे की खबर आ गई। घायल अवस्था में हरलाल "मामा-मामा" चिल्लाते हुए मिला, लेकिन उसकी भी जान नहीं बचाई जा सकी। दर्दनाक हादसे की छाया यह गैस टैंकर हादसा उन परिवारों के लिए कभी न भरने वाला घाव बन गया है। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। प्रशासन ने मृतकों और घायलों के परिवारों को सहायता का आश्वासन दिया है, लेकिन यह मदद उनके खोए हुए अपनों को वापस नहीं ला सकती। इस घटना ने सुरक्षा नियमों और ट्रांसपोर्ट प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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