
Rajasthan NEET exam fraud: एक तरफ जहां लाखों छात्र सालों मेहनत करके NEET जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी करते हैं, वहीं राजस्थान के जयपुर में मेडिकल एंट्रेंस की दुनिया में एक ऐसा खेल उजागर हुआ है, जिसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भरतपुर मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे अजीत गौरा को जयपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिसने 2020 में डमी कैंडिडेट बनकर NEET परीक्षा दी थी और पूरे 700 में से 667 अंक हासिल कर लिए थे। लेकिन ये नंबर और AIIMS में दाखिला मिला किसी और को, अजीत का गांव का ही साथी, सचिन गौरा।
जांच में सामने आया है कि जयपुर के पास स्थित चौमूं के कचौलिया गांव का रहने वाला सचिन गौरा असल में परीक्षा देने नहीं गया था। उसके स्थान पर उसके ही गांव के अजीत गौरा ने उसका एडमिट कार्ड लेकर NEET परीक्षा दी। फोटो और डिटेल्स सचिन की थीं, लेकिन परीक्षा दी अजीत ने। इस हाई स्कोर (667/700) की बदौलत सचिन को AIIMS जोधपुर में MBBS में दाखिला मिल गया, और किसी को भनक तक नहीं लगी।
पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब गांव के ही युवक भीमराव गौरा ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत SOG को भेजी। जांच आगे बढ़ी और 15 मई को चौमूं थाने में FIR दर्ज कर दी गई। जयपुर वेस्ट के सहायक पुलिस आयुक्त अशोक चौहान के नेतृत्व में कार्रवाई शुरू हुई और पहले AIIMS जोधपुर से पढ़ाई कर रहे सचिन गौरा को गिरफ्तार किया गया। गुरुवार रात पुलिस भरतपुर पहुंची, जहां अजीत गौरा को भी स्थानीय पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया गया।
यह पहला मामला नहीं है जब भरतपुर मेडिकल कॉलेज फर्जीवाड़े को लेकर सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी कुमार मंगल और दीपेन्द्र कुमार नामक छात्रों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। दोनों पर भी डमी कैंडिडेट के ज़रिए परीक्षा देने का आरोप है। अब शक जताया जा रहा है कि यह कोई एक-दो छात्रों का व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि संगठित रैकेट हो सकता है जो मेडिकल सीटों की दलाली करता है।
फिलहाल जयपुर पुलिस सचिन और अजीत दोनों से कड़ी पूछताछ कर रही है। मोबाइल रिकॉर्ड, वित्तीय लेन-देन और अन्य दस्तावेजों की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल है। NEET जैसी परीक्षा में इस तरह की सेंध से न केवल मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठते हैं, बल्कि उन लाखों छात्रों की मेहनत भी दांव पर लगती है, जो ईमानदारी से तैयारी करते हैं।
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