
कोटा (kota News). हाल ही में नीट परीक्षा का परिणाम आया है। परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की अलग-अलग कहानियां है। बहुत से छात्रों विपरीत परिस्थितियों में रहकर सफलता हासिल की। इसी तरह की कहानी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से है। जिले के ग्रामीण इलाके में जहां पढ़ाई को अभिशाप समझा जाता था उन जगहों से निकलकर एक छात्र ने इतना जुनून पैदा कर लिया कि वह डॉक्टर बनकर ही घर लौटा। 5 बार उसने सफलता हासिल करने की कोशिश की, लेकिन पांचवी बार में उसे सफलता मिल ही गई।
चित्तौड़गढ़ के युवक की NEET क्लीयर करने की गजब है कहानी
कहानी छात्र रामलाल विश्नोई की है जो चित्तौड़गढ़ जिले के घोसुंडा गांव का रहने वाला है। वह कुछ साल पहले गांव से भाग गया था और कोटा के एक कोचिंग में पढ़ाई कर रहा था। परिवार के संपर्क में रहा लेकिन वापस डॉक्टर बनकर ही लौटा। रामलाल विश्नोई ने 720 में से 635 अंक हासिल किए हैं। उसकी 12091 रैंक आई है।
बचपन में कराई शादी, पढ़ाई के जुनून में छोड़ा घर
रामलाल ने बताया कि जब वह छठी क्लास में था और करीब 11 साल का था तो परिवार ने उसकी शादी तय कर दी थी। इतनी कम उम्र में शादी के बारे में जरा भी जानकारी नहीं थी। परिवार में उत्सव का जैसा माहौल था और मैं भी खुश था क्योंकि नए कपड़े , नया खाना सब कुछ नया मिल रहा था । जब समझ की उम्र आई तो पता चला कि बहुत कम उम्र में शादी हो गई जो गलत था। उसकी पत्नी करीब 6 साल पहले अपने पीहर आई है। रामलाल ने बताया कि वह दसवीं तक पढ़ चुका था और आगे पढ़ना चाहता था, लेकिन पिता ने कहा था पढ़ाई पूरी हो चुकी है अब किसानी या काम धंधे पर ध्यान दें । लेकिन रामलाल ने अपनी जिद नहीं छोड़ी । इस कारण पिता ने उसे पीट भी दिया । बाद में वह घर छोड़कर भाग गया ।
घर छोड़कर कोटा पहुंचा NEET की तैयारी करने
कई दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। उसका सपना डॉक्टर बनने का था। वह सीधा कोटा जा पहुंचा इस बीच में लगातार अपनी पत्नी और परिवार के कुछ लोगों के संपर्क में रहा। कोटा में ही लगातार छह 7 साल पढ़ाई की और उसके बाद अब वह नीट परीक्षा पास करके ही वापस घर लौटा। रामलाल ने बताया कि जब पिता गांव में नहीं रहते थे , तब वह चुपचाप पत्नी से मिलने और परिवार से मिलने आता था। लेकिन फिर वापस लौट जाता था। उसका सपना था कि वह नीट परीक्षा पास करके ही घर लौटे। आखिर 5 बार की लगातार मेहनत के बाद उसे यह सफलता मिल ही गई है । परिवार में सब लोग खुश हैं। हाल ही में रामलाल पिता भी बना है ।
उसका कहना है कि पत्नी भी दसवीं क्लास तक पढ़ी लिखी है। जिस गांव से हम आते हैं उस गांव में दसवीं तक पढ़ना लिखना किसी डिग्री के बराबर है। पत्नी को कहा तो उसने मेरा साथ दिया और उसी के साथ के कारण आज मैं अपने सपने पूरे कर सका। अब जिम्मेदारी बनती है परिवार के सपने पूरा करने की , वही कर रहा हूं फिलहाल गांव में उत्सव का माहौल है।
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