राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर हाल में सरकार को रिपीट कराने की जुगत में लगे हुए हैं। एक के बाद एक ऐलान कर रहे हैं। लेकिन उनके लिए यह राह आसान नहीं है। क्योंकि टिकट वितरण बड़ी समस्या बन गई है
जयपुर. सीएम अशोक गहलोत चुनाव से पहले 6 महीनों में लगातार सरकार रिपीट करने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। फिर चाहे वह बाद महंगाई राहत कैसी हो या राजस्थान में चल रहे कई सर्वे की। सीएम गहलोत का एक ही मकसद है कि चाहे कैसे भी हो जनता उनके फेवर में आए और कैसे भी करके सरकार रिपीट हो। लेकिन सीएम गहलोत का यह सपना साकार होना आसान नजर नहीं आ रहा है।
सचिन पायलट और गहलोत की सिसायत का पेंच
क्योंकि राजस्थान में टिकट वितरण के समय कई जगह विवाद होने वाला है। यह विवाद होगा सचिन पायलट के विधायक और उनके स्थानीय क्षेत्र के नेताओं के बीच। आपको बता दें कि 2018 में बसपा से आए 6 और निर्दलीय 13 विधायक को सीएम गहलोत को समर्थन दिया। इसके बाद साल 2020 में जब साल 2020 में सियासी ड्रामा हुआ और सरकार जाते-जाते बची तो सीएम गहलोत ने कहा कि निर्दलीय और बसपा में आए विधायकों की वजह से ही हमारी सरकार बची है। मैं इन लोगों का हमेशा एक अभिभावक की तरह ध्यान रखूंगा।
टिकट वितरण होगा तो पायलट गुट और स्थानीय नेताओं में होगा विवाद
ऐसे भी अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस चुनाव में बलजीत यादव, महादेव सिंह खंडेला जैसे करीब 19 ऐसे विधायकों को सरकार दोबारा टिकट देगी क्योंकि उन्होंने मुश्किल हालात में भी पार्टी को समर्थन दिया था। इसी बात को लेकर उनके स्थानीय नेता टिकट वितरण को लेकर नाराजगी जाहिर कर सकते हैं। हो सकता है कि पार्टी में ही दो फाड़ हो जाए। ऐसे में अभी चुनाव नजदीक आने पर ही इसका पता चल पाएगा। हालांकि माना जा रहा है कि यदि विधायकों को ही दोबारा टिकट रिपीट की जाती है तो स्थानीय नेताओं का डैमेज कंट्रोल करने के लिए उनसे पहले ही चर्चा कर सकते हैं। राजस्थान में खंडेला, उदयपुरवाटी ऐसी सीटे हैं जहां यह हालात सबसे ज्यादा देखने को मिलेंगे। जब विधायकों और स्थानीय नेताओं के बीच विवाद बढ़ेगा।