
Ramgarh Dam Artificial Rainfall: दुबई में इस साल अप्रैल 2024 में की गई कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशियल रेन) ने बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए थे। वहां विमानों के ज़रिए क्लाउड सीडिंग की गई थी, जिसके बाद भारी जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं सामने आई थीं। अब राजस्थान में भी इसी तकनीक का उपयोग होने जा रहा है। राज्य सरकार ने जयपुर के रामगढ़ बांध को कृत्रिम बारिश से भरने की योजना बनाई है। यह प्रोजेक्ट 30 जुलाई से शुरू हो सकता है और करीब एक महीने से ज्यादा चलेगा।
इस योजना के तहत जयपुर के पास रामगढ़ में 60 बार क्लाउड सीडिंग की जाएगी। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें पहले छोटे स्तर पर प्रयोग किया जाएगा। जेन एक्स एआई के एमडी राकेश अग्रवाल ने बताया कि हमें सभी जरूरी विभागों और मंत्रालयों से अनुमति मिल चुकी है, बस सिविल एविएशन विभाग से ड्रोन उड़ान की मंजूरी मिलनी बाकी है।
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर या ड्रोन के ज़रिए बादलों में छोड़ा जाता है। ये रसायन बादलों में जाकर पानी की छोटी-छोटी बूंदों को आपस में मिलाकर भारी बना देते हैं, जिससे बारिश होने लगती है। यह तकनीक खासकर उन क्षेत्रों में उपयोगी होती है, जहां बारिश की कमी है या सूखा पड़ा हो।
राजस्थान में लंबे समय से कम बारिश की समस्या रही है, जिससे जल संकट और फसल उत्पादन पर असर पड़ता है। खासकर जयपुर का रामगढ़ बांध पिछले कई सालों से सूखा पड़ा है। अब सरकार इस तकनीक के ज़रिए बांध को भरने की कोशिश करेगी ताकि पेयजल और सिंचाई की जरूरतें पूरी हो सकें।
राजस्थान सरकार ने क्लाउड सीडिंग के लिए विशेष प्रकार के उन्नत ड्रोन दक्षिण कोरिया से मंगवाए हैं। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि पहले यह प्रयोग जल महल पर किया जाना था, लेकिन वैज्ञानिकों की सलाह पर रामगढ़ बांध को चुना गया, क्योंकि वहां जल संग्रहण की क्षमता अधिक है।
दुबई जैसे देशों में यह तकनीक पहले ही अपनाई जा चुकी है, अब राजस्थान सरकार भी इसे बड़े स्तर पर लागू करने जा रही है। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो यह राज्य में जल संकट और सूखे से निपटने का एक कारगर उपाय बन सकता है।
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