
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित गणेशपुरा रोड के एक चर्च में बड़े पैमाने पर हिंदुओं को ईसाई धर्म में बदलने की कोशिश का मामला सामने आया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने आरोप लगाया है कि 29 जून को “आगये फेलोशिप चर्च” में 100 से अधिक हिंदू नागरिकों को बाइबल पाठ और अन्य धार्मिक माध्यमों से धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा था।
29 जून को फेलोशिप चर्च में कथित रूप से बाइबल पढ़ाकर दर्जनों लोगों को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित किया जा रहा था। जब स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने इसका विरोध किया तो कथित रूप से चर्च के लोगों ने उनके साथ मारपीट भी की। इस घटना ने इलाके में जबरदस्त हड़कंप मचा दिया है।
विश्व हिंदू परिषद द्वारा दी गई शिकायत में बताया गया है कि यह धर्मांतरण गतिविधियां पिछले 10 वर्षों से चुपचाप संचालित की जा रही थीं। विश्व हिंदू परिषद की ओर से दिए गए आवेदन में यह भी दावा किया गया है कि केरल के निवासी पादरी थॉमस जॉर्जी, गिरिजेश वर्मा, एली और जीनू वर्मा बीते कई वर्षों से धर्म परिवर्तन का कार्य कर रहे हैं।
इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब पता चलता है कि आरोपी गिरिजेश वर्मा राजस्थान सरकार में एएओ के पद पर तैनात हैं, वहीं उसकी बहन जीनू वर्मा बीडीओ हैं। सरकारी सेवा में रहते हुए इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियों में शामिल होना सीधे तौर पर सेवा नियमों का उल्लंघन और भारतीय कानूनों के तहत आपराधिक कृत्य माना जा रहा है।
दौसा के डिप्टी एसपी रविप्रकाश शर्मा ने मीडिया को बताया कि शिकायत के आधार पर मामले की जांच प्रारंभ कर दी गई है। संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जाएगी और पूरे नेटवर्क की गतिविधियों को खंगाला जाएगा।
हिंदू संगठनों ने आरोपियों पर देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह एक सुनियोजित राष्ट्र विरोधी योजना है जिसे पर्दाफाश करना बेहद जरूरी है।
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