राजस्थान के श्री राजपूत करणी सेना है और दूसरी राष्ट्रीय करणी सेना के विवाद इतना बढ़ गया कि गोलीबारी और जानलेवा हमला तक हो गया। अब इन सबके बीच विवाद में पाकिस्तान का कनेक्शन भी सामने आया है।
जयपुर. राजस्थान के दिग्गज राजपूत नेताओं के बीच झगड़े और फायरिंग का मामला सामने आने के बाद अब इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पाकिस्तान का कनेक्शन भी सामने आया है। जिस नेता पर फायर की बात की जा रही है उनका आरोप है कि उन्हें सात दिन पहले पाकिस्तान के नंबरों से धमकी भरा कॉल आया था उसके बाद इस तरह से हमला होना बताता है कि इन सबके पीछे कोई बड़ी तैयारी है। उधर जिस राजपूत नेता पर फायरिंग के आरोप लगे हैं उनको फिलहाल अस्पताल में भर्ती किया गया है और वहां सख्त पुलिस पहरा है। सबसे बड़ी बात ये है कि दोनो ही नेताओं को सिक्योरिटी मिली हुई है और हमेशा दोनो के साथ ही दो दो गन मैन रहते हैं।
श्री राजपूत करणी सेना है और दूसरी राष्ट्रीय करणी सेना का क्या ह विवाद
राजस्थान में राजपूत समाज के दो बड़े संगठन हैं। उनमें एक श्री राजपूत करणी सेना है और दूसरी राष्ट्रीय करणी सेना है। राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना हैं और करणी सेना के अध्यक्ष शिव सिंह शेखावत है। शिवसिंह ने पाकिस्तान से फोन आने की बात कही है। उनका कहना है कि जब चित्रकूट स्थित पार्टी के ऑफिस में रात को जनसुनवाई कर रहे थे तो इस दौरान महिपाल सिंह आए और उन्होनें हमला किया। इस पर शिव सिंह के गनमैन ने मकरान के सिर पर बंदूक की बट की मारी और बाद में शेखावत के समर्थकों ने मकराना को पीटा। पुलिस को मौके से बंदूक का खाली खोल मिला है।
मकराना जयपुर के अस्पताल में भर्ती
उधर इस पूरे मामले में मकराना की पत्नी वर्षा देवी का भी बयान आया है। उनका कहना है कि शिव सिंह ने धोखे से मिलने बुलाया और इस पूरे प्रपंच में फंसाया है। एक तो उनको पीटा और उपर से इतने गंभीर आरोप लगाए हैं। उधर एडिशनल पुलिस कमिश्नर कैलाश विश्नोई ने कहा कि फिलहाल मकराना को एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इलाज जारी है। सीसीटीवी फुटेज देख रहे हैं और वहां मौजूद लोगों के बयान दर्ज कर रहे हैं।
एक साल पहले जयपुर में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या
उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसम्बर में जयपुर में ही सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या उनके घर में घुसकर की गई थी। वे राजपूत समाज के सबसे बड़े नेता थे। उनकी कुर्सी खाली होने के बाद कहीं राजस्थान में वर्चस्व की लड़ाई तो नहीं छिड़ गई है।