
Rajasthan News : राजस्थान में इस वर्ष भी छात्रसंघ चुनाव न कराने का निर्णय राज्य सरकार ने बरकरार रखा है। सरकार ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव करवाना संभव नहीं है। इसके पीछे सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और शैक्षणिक सत्र की व्यस्तता जैसे कारण गिनाए हैं।
सरकार ने अपने जवाब में लिंगदोह समिति की सिफारिशों का हवाला दिया, जिसमें सत्र शुरू होने के आठ सप्ताह के भीतर चुनाव कराने की बात कही गई है। हालांकि, सरकार का कहना है कि मौजूदा शैक्षणिक कैलेंडर और परीक्षाओं के कार्यक्रम को देखते हुए यह समयसीमा पूरी करना संभव नहीं है। साथ ही, कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी लिखित रूप से राय दी है कि फिलहाल चुनाव टालना ही उचित होगा, ताकि शैक्षणिक गतिविधियों पर असर न पड़े।
छात्रसंघ चुनाव न कराने के फैसले को लेकर छात्रों में नाराजगी है। राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस फैसले को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव में भाग लेना विद्यार्थियों का मौलिक अधिकार है और लगातार तीन सत्रों से चुनाव न कराना छात्रों के अधिकारों का हनन है।
सड़कों पर उतरे छात्र नेता चुनाव की मांग को लेकर प्रदेशभर में विभिन्न छात्र संगठनों के नेता प्रदर्शन कर चुके हैं। इनका कहना है कि छात्रसंघ चुनाव न केवल छात्र प्रतिनिधित्व का माध्यम है बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, जिसे लंबे समय तक रोकना उचित नहीं है। छात्र नेताओं का आरोप है कि सरकार जानबूझकर चुनाव टाल रही है, जबकि अधिकांश शैक्षणिक संस्थान अब सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि परिस्थितियां अनुकूल होते ही चुनाव करवाए जाएंगे।
अब निगाहें हाईकोर्ट के आगामी निर्णय पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि इस वर्ष छात्रसंघ चुनाव होंगे या नहीं। फिलहाल, प्रदेश में छात्र राजनीति और शिक्षा जगत दोनों में इस मुद्दे को लेकर गरमाहट बनी हुई है। यह विवाद न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि सोशल मीडिया और विश्वविद्यालय परिसरों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
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