राजस्थान की 3 यूनिवर्सिटी पर 5 साल का बैन: डिग्री नहीं मान्य-अब छात्रों का क्या

Published : Jan 16, 2025, 05:21 PM ISTUpdated : Jan 16, 2025, 05:22 PM IST
Rajasthan three universities ban on 5 year

सार

राजस्थान में फर्जी डिग्री घोटाले पर यूजीसी ने तीन विश्वविद्यालयों पर 5 साल का प्रतिबंध लगाया है। चूरू, अलवर और झुंझुनूं की यूनिवर्सिटीज पर कार्रवाई से छात्रों के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।

जयपुर. राजस्थान बीते कुछ सालों में फर्जी डिग्री और पेपर लीक मामलों को लेकर सुर्खियों में रहा है। सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धांधली के साथ ही प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री बांटने के गंभीर आरोप लगे हैं। राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में तीन विश्वविद्यालयों पर सख्त कार्रवाई की है।

यूजीसी ने कई विश्वविद्यालय को किया प्रतिबंध

यूजीसी का फैसला और जांच के नतीजे यूजीसी ने चूरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी, अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी और झुंझुनूं की सिंघानिया यूनिवर्सिटी को अगले 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। आयोग ने अपनी जांच में पाया कि इन विश्वविद्यालयों ने तय मानकों का पालन नहीं किया और संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे। पब्लिक नोटिस जारी करते हुए यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने यह प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया।

फर्जी डिग्री बांटने का बड़ा रैकेट का खुलासा

फर्जी डिग्री का बड़ा रैकेट चूरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से जुड़े मामले में फर्जी डिग्री बांटने का बड़ा रैकेट सामने आया था। आरोप है कि यहां पीएचडी सहित अन्य डिग्रियां लाखों रुपए लेकर बेची जा रही थीं। इस घोटाले में कुछ अधिकारियों और संस्थापकों की गिरफ्तारी भी हुई थी।

पिछले तीन सत्रों में जारी की गई डिग्रियों की जांच जारी

राजस्थान सरकार की सख्ती राजस्थान सरकार ने पहले ही इन विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई करते हुए सभी कोर्स में नए नामांकन पर रोक लगा दी थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इन विश्वविद्यालयों के पिछले तीन सत्रों में जारी की गई डिग्रियों की जांच जारी है।

छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़

शिक्षा के नाम पर विश्वासघात राजस्थान जैसे शिक्षा के केंद्र में इस तरह के घोटाले न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। राज्य सरकार और यूजीसी की कार्रवाई इस दिशा में एक अहम कदम है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इस घटना ने राजस्थान में उच्च शिक्षा की स्थिति को सुधारने की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। छात्रों और अभिभावकों को भी सतर्क रहकर सही विकल्प चुनने की जरूरत है।

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